फैशन हर महिला को आकर्षित करता है. पर कितनी ही ऐसी महिलाएं हैं, जो किसी न किसी कारणवश अपना मनपसंद परिधान नहीं पहन पाती हैं. कारण चाहे सामाजिक हो या निजी, अपना मनपसंद पहनने की आजादी हर किसी को नहीं मिलती. अधिकतर महिलाएं अपनी पसंद के परिधान नहीं खरीद पाती हैं. उन्हें मन मसोस कर ऐसे कपड़े खरीदने पड़ते हैं, जिन्हें उन के आसपास का माहौल पहनने की अनुमति देता है.

नैतिक पुलिसिंग

हमारे समाज में घरपरिवार, रिश्तेदारों या पड़ोसियों तक ही बात सीमित नहीं है. नैतिक पुलिसिंग के और भी कई माध्यम हैं जैसे धर्म के रक्षक, विश्वविद्यालय, सड़क पर चलते अनजान लोग, नेतागण, पुलिस आदि. आम जिंदगी में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जहां मनचाहा पहनने पर प्रश्नचिह्न लगाए जाते हैं.

इस वर्ष मई के महीने में पुणे से खबर आई कि 5 पुरुषों ने एक महिला को कार से घसीट कर बाहर निकाला और फिर उस की पिटाई की. कारण-उस ने छोटे कपड़े पहने थे.

जून 2014 में गोवा के लोक निर्माण विभाग मंत्री सुधिन धवलीकर का बयान आया कि नाइट क्लबों में युवतियों द्वारा पहने गए छोटे कपड़े गोवानी संस्कृति के लिए खतरा हैं. ऐसा नहीं होने देना चाहिए, इस पर रोक लगानी चाहिए.

इसी वर्ष 25 अप्रैल के दिन बैंगलुरु में जब ऐश्वर्या सुब्रमनियन ने अपने दफ्तर जाने के लिए औटोरिकशा रोका तब उस के चालक श्रीकांत ने कहा कि मेरी बात का बुरा मत मानना पर जो कपड़े आप ने पहने हैं वे अनुचित हैं.  ऐश्वर्या ने उस समय अपने घुटनों तक की सफेद साधारण पोशाक पहनी थी. औटो चालक की बात सुन कर ऐश्वर्या हत्प्रभ रह गई. उस ने पलट कर कहा कि वह अपने काम से काम रखे. 

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