कुशीनगर में महात्मा गौतमबुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ था. पर्यटन के लिहाज से कुशीनगर पूरी दुनिया में मशहूर है. महात्मा बुद्ध के तमाम अनुयायी पूरे विश्व से यहां आते हैं. यह बौद्ध परिपथ के नाम से मशहूर है. सारनाथ और लुंबनी यहां से करीब हैं. कुशीनगर की गोरखपुर से दूरी 50 किलोमीटर है. गोरखपुर गोरक्षा पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में यहां की हर घटना असाधारण हो जाती है.

यही वजह है कि कुशीनगर में स्कूल वैन हादसे की खबर का पता चलते ही मुख्यमंत्री अपने अमरोहा दौरा से पहले कुशीनगर गए. उन्होंने जनता के आक्रोश को ‘नौटंकी’ कह कर पूरे मामले को विवादों में ला दिया. मुख्यमंत्री ने शिक्षा और परिवहन विभाग के निम्न कर्मचारियों के खिलाफ तो कड़े कदम उठाने की बात कही पर मंत्री व शीर्ष स्तर पर बैठे जिम्मेदार लोगों को सजा न दे कर एकपक्षीय न्याय किया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संत हैं. हर काम की शुरुआतपूजापाठ से करते हैं. यह बात और है कि इस के बाद भी उन की मुसीबतें कम होती नहीं दिख रही हैं. पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपने ही जिले गोरखपुर के बीआरडी यानी बाबा राधव दास अस्पताल में औक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हो गई थी. सरकार ने इस का ठीकरा अस्पताल के डाक्टर कफील अहमद पर फोड़ कर खुद को किनारे कर लिया. हाईकोर्ट ने डाक्टर कफील को जमानत पर छोड़ दिया है.

औक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन है, यह साबित करना कठिन काम है. आम आदमी हादसों को जल्द भूल जाता है. दूसरा हादसा होने पर फिर से तेजी आती है. एक साल के अंदर ही गोरखपुर के पास कुशीनगर में स्कूली वैन रेलगाड़ी की चपेट में आ गई. इस में 13 बच्चों की मौत हो गई. 4 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए. यह घटना 26 अप्रैल को घटी. औक्सीजनकांड की तरह एक बार फिर सरकार ने स्कूल के प्रबंधक करीम जहान खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे जेल भेज दिया. इस के साथसाथ, शिक्षा विभाग और परिवहन विभाग के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की. पूरे मामले में शिक्षा और परिवहन विभाग के कर्मचारियों के साथसाथ, इस विभाग के मंत्री भी जिम्मेदार हैं. ऐसे में मंत्रियों व उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही न कर सरकार ने एकपक्षीय काम किया है.

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