अन्ना हजारे आज किसी परिचय के मुहताज नहीं हैं. आजादी के बाद शांतिपूर्ण आंदोलन कर सत्ता को उखाड़ फेंकने का बड़ा काम अन्ना हजारे ने किया था. महाराष्ट्र के अहमदनगर के रालेगण सिद्धि गांव में रहने वाले अन्ना हजारे का पूरा नाम किसन बाबू राव हजारे है. परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए वे बचपन में ही अपनी बूआ के साथ मुंबई आए और यहां उन्होंने फूल बेचने का काम शुरू किया. अन्ना के दादाजी सेना में थे. अन्ना के बचपन पर उन का प्रभाव था. 1962 में जब भारतचीन युद्ध हुआ तो युवाओं से सेना में शामिल होने की अपील की गई, जिस के तहत अन्ना सेना में भरती हो गए. 15 साल उन्होंने सेना में काम किया. इस के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले कर वे अपने गांव वापस आ गए.
अन्ना के जीवन पर महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज का काफी असर था. ऐसे में उन्होंने अपने गांव में सुधारकार्य शुरू किया. गांव में सिंचाई के साधन उपलब्ध कराए जिस से गांव तरक्की की राह पर आगे बढ़ा. आज यह गांव देश में एक मिसाल है. लोग इसे देखने के लिए यहां आते हैं. अन्ना हजारे को पद्मभूषण सहित कई सम्मान मिल चुके हैं. अन्ना का नाम दोबारा चर्चा में तब आया जब 1991 में उन्होंने महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन शुरू किया. शिवसेना और भाजपा सरकार
के भ्रष्ट मंत्रियों को हटाने की मांग की. इस के बाद 1997 में अन्ना ने सूचना का अधिकार कानून बनाने के लिए अभियान शुरू किया. यह कानून बन गया. फिर वर्ष 2011 में लोकपाल कानून बनाने के लिए जन आंदोलन शुरू किया जो देश के सब से बड़े आंदोलनों में गिना जाता है. इस का ही असर था कि कांग्रेस सरकार को कई कानून बनाने पड़े. सरकार ने लोकपाल बिल तैयार किया. अन्ना के इसी आंदोलन का असर था कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार बन गई. अन्ना अब एक बार फिर से आंदोलन की राह पर हैं. वे 22 प्रदेशों का दौरा कर चुके हैं. 2 दिनों के दौरे पर वे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आए और लखनऊ से सीतापुर तक कई जगहों पर उन्होंने जनसभाएं की. लखनऊ में लोकतंत्र की पाठशाला कार्यक्रम में हिस्सा लिया, युवाओं से बातचीत की. इसी दौरान इस प्रतिनिधि की अन्ना हजारे से बातचीत हुई, पेश हैं अंश :
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