महंगाई बढ़ने की एक बड़ी वजह सरकार का आम आदमी पर टैक्स बढ़ाना है. सरकार को अब पैट्रोल, डीजल, गैस की शक्ल में अनूठे हथियार मिल गए हैं, जिन के सहारे मनमाना टैक्स वसूला जा सकता है.
सरकार जहां 2014 में मनमोहन सिंह के जमाने में जहां 1 लिटर पैट्रोल पर 9 रुपए 48 पैसे टैक्स वसूल रही थी वहीं अब मोदी सरकार 3 गुना ज्यादा यानी 27 रुपए 90 पैसे टैक्स वसूल रही है. गैस और डीजल पर भी ऐसा ही हाल है.
मोदी सरकार की मनमानी इतनी है कि जहां 2014 में राज्यों को पैट्रोल पर टैक्स से 38 पैसे मिलते थे वहीं अब 2021 में बढ़ कर सिर्फ 57 पैसे हुए हैं और भारतीय जनता पार्टी सारे देश में हल्ला मचा रही है कि विपक्षी राज्य सरकारें पैट्रोल व डीजल पर टैक्स कम नहीं कर रहीं.
2021 में मोदी सरकार ने पैट्रोलियम पदार्थों पर 3.72 लाख करोड़ रुपए जनता से वसूले जबकि 2020 में 2.23 लाख करोड़ रुपए मिले थे और बहाना बना दिया कि विश्व बाजारों में कच्चे तेल के दाम बढ़ गए हैं. अगर सिर्फ कच्चे तेल के बढ़े दाम जनता से वसूले जाते तो पैट्रोल, डीजल, गैस पर क्व5-5 प्रति लिटर या किलोग्राम बढ़ते.
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केंद्र सरकार जानती है कि इस देश की औरतों को जितना चाहे लूट लो, वे चूं नहीं करेंगी. उन्हें बचपन से ही यह पाठ पढ़ा दिया जाता है कि जो भी आफत आए उसे भगवान की मरजी मान लो और पूजापाठ कर के बचने की कोशिश करो. फिर भी कुछ न हो तो इसे अपने पिछले जन्मों के कर्मों का फल मान लो. आम जनता से भी कहा जाता है कि वह बस कर्म करे, फल की चिंता न करे. कृष्ण का पाठ बारबार यों ही नहीं दोहराया जाता. इस में हर युग में राजाओं और शासकों का मतलब छिपा रहा है.