पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू और उन की पत्नी नवजोत कौर का भारतीय जनता पार्टी को छोड़ जाना एक आश्चर्य की बात है. अब तक तो ऐसा लग रहा था कि दलबदल का ट्रैफिक केवल वन वे है, भारतीय जनता पार्टी की ओर. नवजोत सिंह सिद्धू को कुछ अरसा पहले ही खुश करने के लिए राज्य सभा में मनोनीत किया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया था पर 2014 का अनुभव शायद वे भूले नहीं थे, जिस में उन्हें 10 साल की सेवा के बावजूद अमृतसर की लोक सभा सीट से
हटा दिया गया था ताकि अरुण जेटली को चुनाव लड़वाया जा सके. यह बात दूसरी थी कि मोदी लहर में भी अरुण जेटली चुनाव हार गए थे. नवजोत सिंह सिद्धू अब शायद आम आदमी पार्टी में जाएंगे, जो पंजाब में मुख्यमंत्री पद के लिए एक अच्छा चेहरा ढूंढ़ रही है. अरविंद केजरीवाल को भगवा ब्रिगेड और सोशल मीडिया चाहे जितना बुराभला कहता रहे, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी भले ही कोसे, थोड़ी समझदार चाहे अनपढ़ व गरीब ही सही, लोगों में आम आदमी पार्टी एक ठीकठाक पर्याय है.
पंजाब से आम आदमी पार्टी ने 2014 में 3 सीटें लोक सभा चुनावों में जीती थीं और वहां की जनता कांग्रेस और अकाली भाजपा दोनों से तंग आ गई हो तो बड़ी बात नहीं. आम आदमी पार्टी की तरह नवजोत सिंह सिद्धू सदा आम आदमी ही रहे. क्रिकेटर के रूप में तो वे आम आदमी के लिए ही खेलते थे. कपिल शर्मा के टैलीविजन कौमेडी शो में भी वे आम आदमी से जुड़े रहे हैं और उन में इन दोनों पार्टियों की राजसी बू नहीं घुसी है.
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