अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डौनल्ड ट्रंप का एक वीडियो, जो 2005 में लिया गया था, आजकल धड़ल्ले से चल रहा है. इस वीडियो में ट्रंप बड़े फक्र से कहता है कि उस ने कितनी ही विवाहित औरतों से सैक्स संबंध बनाए हैं. उस की भाषा में जननांगों तक का जिक्र है. वह बड़े फक्र से कहता है कि अगर आप के पास पैसा व नाम है तो औरतें आसानी से ऐसा करने देती हैं.
2005 में यह हिस्सा टैलीविजन कार्यक्रम में नहीं दिखाया गया था. अब इस ने हंगामा मचा दिया है. हालांकि डौनल्ड ट्रंप इस पर सफाई दिए बिना राष्ट्रपति पद के लिए रेस में बने रहने पर अड़ा हुआ है. उस ने अपने गलत बयान पर माफी तो मांगी थी पर साथ ही यह भी जोड़ कर राष्ट्रपति चुनाव की गरिमा को और खराब कर दिया कि हिलेरी क्लिंटन के पति बिल क्लिंटन तो इस से भी बुरा काम कर चुके हैं.
जनता इसे गलती या माफी मानेगी, यह नहीं कहा जा सकता, क्योंकि अमेरिकी समाज में आजकल ऐसे सिरफिरों की कमी नहीं है, जो दुनिया भर में फैल रहे आतंक और चीन व रूस की धमकियों का मुकाबला करने के लिए एक मर्द को राष्ट्रपति पद देना चाहते हैं. वे भूल रहे हैं कि इंदिरा गांधी ने 1971 बांग्लादेश मामले में पाकिस्तान पर और मार्गरेट थैचर ने 1982 में फाकलैंड युद्ध में अर्जेंटाइना पर बिना मर्द हुए विजय पाई थी.
लड़ाई में सही फैसले काम आते हैं, सर्वोच्च नेता का बड़बोलापन या उस की औरतों के प्रति मर्दानगी नहीं. चुनाव में उसी व्यक्ति को उतरना चाहिए, जो देश के हर वर्ग को बराबर का आदर दे और अपनी जबान पर नियंत्रण कर सके. अमेरिकी समाज में ढीले राष्ट्रपतियों की कमी नहीं रही है, चाहे बाद में उन के चरित्र के ढीलेपन को उन के उल्लेखनीय कामों के बीच छिपा दिया गया हो.
यह अफसोस की बात है कि नेता बनने की इच्छा रखने वाले मर्द भी औरतों को हेय दृष्टि से देखने से बाज नहीं आते. औरतों के प्रति लगभग हर समाज में इस प्रकार की भावना मौजूद है कि वे न केवल कमजोर हैं, पैर की जूती हैं, ऊंचे पदों के लायक नहीं हैं और साथ ही जो चाहे जब चाहे उन्हें लिटा कर अपनी मनमानी कर सकता है.
यह भावना अगर कूटकूट कर पुरुषों में भरी है तो इस का बड़ा कारण धर्म है, जो अपने भगवानों व देवताओं के खिलाफ अपने ही ग्रंथों में लिखे सही शब्दों तक को दोहराने पर घबरा कर कहने वाले का मुंह बंद कर देता है पर आधी आबादी को उस धर्म को मानने में कोई एतराज नहीं है.
भारत में ही या पश्चिमी एशिया में औरतों को कहीं भी धर्म से आदरसम्मान नहीं मिलता. उन्हें हर धर्म की लड़ाई में कुरबान कर दिया जाता है. धर्म ही उन पर उन दोषों के लिए जिम्मेदारी थोपता है जो मर्दों के कारण हुई हों. पति से बाहर सैक्स, बलात्कार, छेड़छाड़, देह व्यापार आदि में दोषी कभी भी पुरुष नहीं होते, हमेशा औरतें ही होती हैं.
डौनल्ड ट्रंप भी इसी विश्वास पर लड़ रहा है कि न केवल अमेरिका के मर्द, उन मर्दों की गुलाम सी उन की पत्नियां, बहनें, बेटियां, मांएं एक उस व्यक्ति को वोट दिलवा देंगे जो औरतों का आदर करना नहीं जानता और उन्हें केवल अपने सैक्स सुख का गुलाम मानता है.