आजादी के क्रांतिकारियों का नमन करने के लिए अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश होने पर पांच मंत्र दिए हैं. इनमें देश की ऊर्जा का, देश के क्रांतिकारियों के नमन का, देश के कल्याण का, देश को दुनिया में एक ताकत बनाने का और भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना शामिल है. काकोरी एक्शन के वीर शहीदों की स्मृति में शहीदों के परिवारों को सम्मानित करने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बातें कही.
इस मौके पर परमवीर चक्र विजेता मनोज पांडे के परिवारीजनों समेत काकोरी एक्शन के शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया गया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी का मतलब है कि गरीब के पास पक्का मकान हो इसलिए सरकार पीएम आवास योजना लाई, महिलाओं को रसोई गैस मिल सके तो सरकार ने उज्ज़वला योजना लागू की, गरीब के पास विद्युत कनेकशन हो तो सरकार ने सौभाग्य योजना लागू की, हर कन्या का उन्नयन हो तो मुख्यमंत्री सुमंगला योजनाओं को लागू किया गया. कोई भी दैवयोग के कारण कोई भी बेटी वैवाहिक वंधन से वंचित न हो इसलिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना और कोई भी गरीब उपचार के अभाव में दम न तोड़ने पाए इसके लिए आयुष्मान योजना को लागू किया गया. यह प्रयास इसी दिशा में हो रहे हैं कि गरीब के चेहरे पर खुशहाली लाई जा सके, हर बेटी को सुरक्षा की गारंटी दी जा सके हर नवजवान को आर्थिक स्वावलंबन की ओर अग्रसर किया जा सके. हमें आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ाया जा सके.
उन्होनें कहा कि देश के अंदर 133 करोड़ लोगों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए मोदी सरकार फ्री वैक्सीन, फ्री उपचार, फ्री टेस्ट, फ्री राशन बिना भेदभाव के दे रही है. यह इसलिए कर रही है कि देश स्वाधीन है सरकार की जवाबदेही है. इसलिए मोदी-योगी सरकार लोगों को समभाव तरीके से योजनाएं पहुंचाने का काम कर रही है.
उन्होंने काकोरी स्मति स्थल पर क्रांतिकारियों की शहादत याद करते हुए कहा कि हमारा देश विदेशी आक्रांताओं और विदेशी हुकूमत में कुछ समय के लिए बंधक बनने के लिए मजबूर जरूर हुआ था. लेकिन देश की जनता ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया. यह प्रयास बलिया, गोरखपुर, बिठूर, झांसी समेत देश के अलग-अलग स्थानों पर देखने को मिला था.
उन्होंने बताया कि वर्ष 1922 में गोरखपुर के चौरी चौरा में एक ऐतिहासिक घटना हुई थी यह उसका शताब्दी वर्ष है. चौरी चौराह में किसानों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं ने ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी थी. उसी तरह से काकोरी एक्शन में क्रांतिकारियों ने अपनी सम्पत्ति को लेकर ब्रिटिश हुकूमत को हिला दिया था. इनके नायकों में राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, पं. रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह थे. इन चार क्रांतिकारियों को ब्रिटिश हुकूमत ने बिना किसी सुनवाई को पूरा किए 19 दिसम्बर 1927 को फांसी देने का फैसला कर लिया. लेकिन डरी हुई ब्रिटिश हुकूमत ने राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को गोंडा में दो दिन पहले ही फांसी दे दी. इसके बाद गोरखपुर में रामप्रसाद बिस्मिल को, फैजाबाद जेल में अशफाक उल्ला खां और नैनी की जेल में ठाकुर रोशन सिंह को फांसी दे दी गई. इन चारों क्रांतिकारियों का बलिदान भारत की आजादी के लिए मील का पत्थर साबित हुआ.