शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एक शिप क्रूज में खाना होने से पहले नारकोटिक्स विभाग वालों द्वारा पकड़ लेना एक तमाशा बन गया है. जब देश की मुसीबतों का अंत दिख नहीं रहा है, एक छोटे से मामले को जिस तरह जनमानस में तूल दी गई उस से लगता है कि हम लोग हमेशा से वास्तविक खतरों को भुला कर निरर्थक कामों में दिल बहलाने के पूरी तरह आदी हो गए हैं.

दुकान नहीं चल रही हो, पत्नी को बिमारी हो गई हो, बेटे के अच्छे अंक नहीं आ रहे हो, कर्ज भारी बड़ रहा हो, टैक्स वालों का हमला हो रहा हो. हमारे यहां हवन, मां की चौकी, तीर्थ यात्रा आदि एक आम बात है. ये सक असल समस्या से क्षणिक घुटकारा तो दिला देते हैं पर समस्या वहीं रहती है. ये सब बहुत सा धन व समय ले लेती हैं जो समस्या सुलझाने में लग सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए जहां उन्हें न राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ज्यादा भाव दिया न उपराष्ट्रपति भारतीय खून वाली कमला हैरिस ने और आस्ट्रेलिया व जापान के नेता अपने में मगन रहे. उस खिन्नता को देश की समस्याओं से दूर करने की जगह मोदी जी तुरंत रात देर को संसद भवन के नए निर्माण के कैमरों की टीम के साथ पहुंच गए जहां एक कुशल अनुभवी आर्कीटैक्ट की तरह ब्लूङ्क्षप्रट देखते हुए नजर आए. यह फोटोशूट निरर्थक था. देश के किसान अंादोलन से जूझना है, बढ़ती बेरोजगारी और मंहगाई से जूझना है, कोयला संकट से जूझना है पर एक आम नागरिक की तरह हम धाॢमक स्टंटबाजी में लगे रहते है.

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