यह शायद अब होने लगा है की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में भी राजनीति की चौपड़ बिछाई जा रही है. अगरचे आप अजय देवगन को, जिन्हें सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया है के सम्मान को महाराष्ट्र की सत्ता, राजनीति को जोड़ कर देखेंगे तो आपके सामने सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी , साफ साफ होगा.
महाराष्ट्र की राजनीति और षड्यंत्र अभी अभी देश ने देखा है कि किस तरह वहां भाजपा के इशारे पर शिवसेना के एक प्यादे एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़ा है और मुख्यमंत्री बन गए हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि एकनाथ शिंदे जिनके पास न तो शिवसेना पार्टी है और ना ही शिवसेना आलाकमान का आशीर्वाद या सभी विधायकों का समर्थन इसके बावजूद भाजपा की अनैतिक राजनीति और सत्ता की धमक के कारण एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हो गए हैं.
अब हम बात करें महाराष्ट्र की राजनीति एकनाथ शिंदे अजय देवगन की बीच के तारों की तो यह आपको समझना होगा कि जो कुछ महाराष्ट्र में भाजपा के शीर्ष नेताओं ने खेल खेला है उसमें मराठा, हिंदुत्व और महाराष्ट्र अस्मिता का घोल है, यहां भविष्य की राजनीति के साथ वोट बैंक जुड़ा हुआ है. अजय देवगन की फिल्म जनवरी 2020 में आई उनकी यह सौवीं फिल्म थी जो हिंदू मराठा भावना को जागृत करती है. और भाजपा को यही चाहिए. जहां हिंदुत्व है वहां भाजपा की सील तैयार है. अजय देवगन की यह फिल्म तानाजी मराठा पराक्रम को रेखांकित करती है.
अभिनय की दृष्टि से और बाजार की दृष्टि से यह फिल्म अपना कोई मुकाम हासिल नहीं कर पाई थी फिल्म समीक्षकों ने भी तानाजी को कोई विशेष तवज्जो नहीं दी इसके बावजूद राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जब घोषित होते हैं तो अजय देवगन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता घोषित किया जाता है. इसकी बिसात शायद पहले ही बिछ चुकी थी यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया था. भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने फिल्म की प्रदर्शन के समय ही भूरी भूरी प्रशंसा कर दी थी. बाद में यह महाराष्ट्र में टैक्स फ्री हुई और लगभग 150 करोड़ की लागत से बनी इस फिल्म ने सिर्फ 400 करोड़ की कमाई की है.