किसी न किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह करना ही था. अमेरिका को अब एक सिरफिरा, दंभी और न देश, न जनता, न पार्टी की चिंता करने वाला राष्ट्रपति मिला है, जो मुसलिमों, लैटिनियों, मैक्सिकियों, इमिग्रैंटों, चीनियों, अखबार वालों सब से बिना चेहरे पर शिकन लाए ‘अमेरिका फर्स्ट’ कह कर कुछ भी कर सकता है.
उस ने मुसलिमों के देश में प्रवेश पर पाबंदियां लगा कर यह साबित कर दिया है कि उस की पहले की बातें नरेंद्र मोदी के नारे ‘अच्छे दिन’ की तरह केवल चुनावी जुमले नहीं थे. वह अमेरिकन समाज के तानेबाने को तारतार करने की हिम्मत रखता है, उस से चाहे लाभ हो या न हो.
उस ने कुछ मुसलिम बहुल देशों से वीजा प्राप्त मुसलिमों के अमेरिका में प्रवेश पर जैसे ही प्रतिबंध लगाया. अमेरिका देश भर में मुसलिम विरोधी तत्त्व खड़े हो गए हैं. 2-4 जगह मसजिदें जला दी गई हैं. 2002 में मुसलिम आतंकवादियों द्वारा न्यूयौर्क के ट्विन टौवर पर हमले का बदला अब फिर शुरू हो गया है, क्योंकि अफगानिस्तान, इराक, लीबिया, सीरिया को तहसनहस करने के भी मुसलिम आतंकवादियों ने अपना कहर ढाहना बंद नहीं किया है.
अब हिटलरी अंदाज में इंतहाई बदला लेने का माहौल डोनाल्ड ट्रंप तैयार कर रहे हैं
और अगर वे चुनाव जीत सकते हैं तो देश में ही नहीं विश्व भर में मुसलिम विरोधी माहौल पैदा कर सकते हैं, क्योंकि कितने ही देश मुसलिम आतंकवाद के शिकार हो चुके हैं.
डोनाल्ड ट्रंप गलत हैं, खब्ती हैं, मूर्ख हैं पर उन का मुकाबला अपने से कहीं ज्यादा कट्टरों से है, जो अपने गांव, शहर, देश और धर्म वालों किसी की भी चिंता नहीं करते और धर्म की आग में किसी को भी झोंकते हुए अपनेपराए को भूल जाते हैं.