दीवाली के तुरंत बाद हमारा देश ऐतिहासिक शुद्धियज्ञ का गवाह बना है. सवा सौ करोड़ देशवासियों के धैर्य और संकल्पशक्ति से चला यह शुद्धियज्ञ आने वाले अनेक वर्षों तक देश की दिशा निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाएगा. हमारे राष्ट्र जीवन और समाज जीवन में भ्रष्टाचार, कालाधन, जाली नोटों के जाल ने ईमानदार को भी घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था. उस का मन स्वीकार नहीं करता था, पर उसे परिस्थितियों को सहन करना पड़ता था, स्वीकार करना पड़ता था. दीवाली के बाद की घटनाओं से सिद्ध हो चुका है कि करोड़ों देशवासी ऐसी घुटन से मुक्ति के अवसर की तलाश कर रहे थे.
जब देश के कोटिकोटि नागरिक अपने ही भीतर घर कर गई बीमारियों के खिलाफ, विकृतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरते हैं तो वह घटना हर किसी को नए सिरे से सोचने को प्रेरित करती है. दीवाली के बाद देशवासी लगातार दृढ़संकल्प के साथ, अप्रतिम धैर्य के साथ, त्याग की पराकाष्ठा करते हुए, कष्ट झेलते हुए, बुराइयों को पराजित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. जब हम कहते हैं कि ‘कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी’, तो इस बात को देशवासियों ने जी कर दिखाया है. कभी लगता था कि सामाजिक जीवन की बुराइयां, विकृतियां जानेअनजाने में, इच्छाअनिच्छा से हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं लेकिन 8 नवंबर, 2016 की घटना हमें पुनर्विचार के लिए मजबूर करती है.’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 दिन के यज्ञ के बाद 31 दिसंबर, 2016 की शाम प्रजा के नाम जब यह संदेश दिया तो 5 हजार साल पहले पांडु कुल के अंतिम सम्राट राजा जनमेजय के सर्पयज्ञ की कथा ताजा हो गई. जनमेजय ने पृथ्वी से सांपों के अस्तित्व को मिटाने के लिए सर्पमेध यज्ञ किया था.