सेना में नौकरी करने पर देश सेवा का अवसर भी मिलता है और अपनी बहादुरी दिखाने का भी पर विवाह में बहुत कठिनाइयां आती हैं. सैनिकों को लंबे समय तक घरों में दूर रहना पड़ता है और कई बार जब उन्हें शहरी पोङ्क्षस्टग भी मिले तो भी जरूरी वहीं मिले जहां उन्होंने या पत्नी ने घर बसाया हो. जहां सैनिक अफसरों को बहुत सी सुविधाएं मिलती हैं, वही पत्नी और बच्चों के साथ सुख से न रहने का गम भी रहता है.

सैनिक जोड़ों में अकसर विवाद इसीलिए खड़े हो जाते हैं कि पतिपत्नी एक साथ नहीं रह पाते और दोनों को एकदूसरे पर शक होने लगता है. जब पति और पत्नी अलग जगहों पर रह रहे हो तो डरा सी भनक पडऩे पर मामला तूल पकड़ सकता है. इस डर से सैनिकों को अब सही पत्नी के चयन में कठिनाइयां होने लगी हैं. जहां प्रेम भी हो रहा हो वहां भी प्रेमिकाएं अकसर लंबे समय तक अकेली रहने के डर से कारण बिदक जाती हैं.

वैसे भारत ने हाल में कोर्ई भी लंबी लड़ाई नहीं लड़ी पर फिर भी असुरक्षित पाकिस्तान व चीन के साथ की सीमा का डर तो रहता ही है. इन इलाकों में बिना लड़ाई की दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं. वह भी एक बड़ा डर रहता है और देशभक्ति का नारा लगाने वालों में भी अपनी बेटियों को सैनिकों को खुशीखुशी देने वाले कम ही हैं. सैनिक सेवा का अपना आकर्षण पतिपत्नी विवादों में दब सा जाता है.

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सेना किसी भी देश व समक्ष के लिए एक अनिवार्यता है और उस का हिस्सा होना एक गौरब की बात है और यदि इस के लिए पत्नियों के कोई कुरबानी देनी पड़ती है तो समाज को उसे सहज स्वीकारना चाहिए. बिडंबना यह है कि हमारे धर्म में सैंकड़ों व्रत व अनुष्ठान ऐसे बना रखे हैं जिन में पतिपत्नी दोनों का साथ आवश्यक है. पति चाहे देश सेवा में लगा हो या शहीद हो गया हो, ये व्रत अनुष्ठान अपने जिद नहीं छोड़ते.

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