भाजपा सरकार देश को हिंदूमुस्लिम मामलों में उल झाए रखना चाहती है ताकि उन की गरीबी, बेरोजगारी, गंदगी, बीमारी जैसे मामलों में कोई पूछताछ न करे. देश तो हमेशा से ही पंडोंपुजारियों के कहने पर चला है चाहे जमाना मुट्ठीभर मुगलों का हो या फ्रैंच, डच और अंगरेजों का. जो लोग घोड़ों पर बैठ कर पहाड़ी दर्रों से या लकड़ी की नावों में आए, भारत पर मजे से सैकड़ों साल राज करते रहे और आज की भी 80 फीसदी जनता का हाल वही है जो गुलामी में होता है.
नागरिकता का नया कानून या फिर राम मंदिर देश की हालत को किसी भी तरह से नहीं सुधारेगा. हो सकता है कि आगे इन मामलों को ले कर महल्लेमहल्ले में लड़ाई होने लगे. अब तक दलितों और पिछड़ों को मुसलमानों के खिलाफ खड़ा करना आसान था पर धीरेधीरे पिछड़ों को सम झ आ रहा है कि उन का तो इस्तेमाल किया जा रहा है और न नागरिकता कानून से न राम मंदिर से उन के खेतों की उपज बढ़ने वाली है और न ही नए कारखाने लगने वाले हैं.
भारत से अच्छा तो बंग्लादेश और श्रीलंका करते नजर आ रहे हैं जहां इस तरह के सवाल हैं पर वहां सरकारें आम लोगों को इन के भुलावे में नहीं रख रहीं. यहां तो सरकार 24 घंटों नागरिकता या धर्म का पिटारा खोले रखती है. भारत में रहने वाला हर जना भारतीय ही है. उसे कागज कुछ भी दो वह अपनी जगह बना लेगा, आज नहीं तो कल. लाखों नहीं करोड़ों भारतीय मूल के लोग विदेशों में बसे हैं और बाकी उस तरह के घुसपैठिए हैं जैसे नागरिकता कानून में बताया गया है पर उन्होंने अपनी जगह बना ली है और ज्यादातर दिल से आज भी हिंदुस्तानी बने हैं और अपनी पुरानी सोच के हिसाब से चल रहे हैं.केरल का मलयालम बोलने वाला मुसलमान, कर्नाटक का कन्नड़ बोलने वाला मुसलमान बंगला बोलने वाले मुसलमान से कैसे अलग है?