सरकार ने जापान और चीन से सबक लेते हुए जनसंख्या नियंत्रण कानून को अब निरर्थक मान लिया है. कुछ भारतीय जनता पार्टी सरकारों ने कानून पास किए हैं जो 2 से ज्यादा बच्चे होने पर बहुत सी सुविधाएं छीनते हैं और एक तरह से उस तीसरे बच्चे को अपराधी मान लेते हैं जिस ने न अपनी इच्छा से जन्म लिया, व कुछ गलत किया.
भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों में कूटकूट कर भर दिया गया है कि मुसलमानों को 4 शादियों की छूट है और वे दर्जनों बच्चे पैदा करते हैं. यह बात तर्क की नहीं अंधेपन की है, उन बेवकूफों की जो 2+2 करना नहीं जानते. उन से पूछो कि अगर एक मुसलिम मर्द की 4 बीवियां हैं तो क्या वहां 4 गुने औरतें भी हैं तो उन का खत्म नहीं और होगा. जैसे ले चलो चावड़ी बाजार हजूम दिख जाएगा.
भारतीय जनता पार्टी के अंधभक्त वैसे भी तर्क का उत्तर उसी तरह देते हैं जैसे रामदेव पैट्रोल के दामों के सवाल पर भडक़ते हैं. एक पत्रकार ने पूछा कि आप ने तो 35 रुपए लीटर पैट्रोल दिलाने को कहा था, कहां है वह. तो उस ने जवाब दिया कि तू ठेकेदार है क्या सवाल पूछने का.
तर्क का उत्तर तथ्य से देना न पौराणिक परंपरा न आज है और इसलिए आश्चर्य है कि अपनी पार्टी की राज्य सरकारों के कानूनों पर बिना टिप्पणी किए केंद्र सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून से पल्ला झाड़ लिया.
जनसंख्या कानून की आज कोई आवश्यकता नहीं रह गई क्योंकि कामकाजी औरतें खुद एक या दो से ज्यादा बच्चे नहीं चाहतीं और कानूनी या गैरकानूनी गर्भपात तक करा आती है. अगर गर्भनिरोधक .....और गुलाम हो जाएं तो शायद अब एक बच्चा भी पैदा न हो. क्योंकि 35-40 की आयु से पहले कोई औरत बच्चा चाहती ही नहीं हैं चाहे बाद में डाक्टरों को इलाज और आईवीएच की सुविधा का लाखों खर्च करती फिरे.