मीना की शोभित से दोस्ती कब गहरे प्यार में बदल कर सारी सीमाओं को पार कर गई, वह स्वयं भी न जान पाई. होश तब आया जब बहुत देर हो चुकी थी. डाक्टरी जांच ने भी पुष्टि कर दी कि मीना गर्भवती है. मीना के पेरैंट्स ने शोभित के घर वालों के आगे शादी का प्रस्ताव रख अपनी बेटी की जिंदगी बचाने की प्रार्थना की पर दोनों खानदानों के सामाजिक और आर्थिक स्तर में फर्क होने के कारण शोभित के पैसे वाले पेरैंट्स ने साफ इनकार कर दिया.
अपने परिवार की हठ के आगे मीना के लिए शोभित का प्यार फीका पड़ गया और उस ने भी मीना से पल्ला झाड़ लिया. समाज में अपनी इज्जत बचाने की खातिर मीना का गर्भपात करवा दिया गया और रोहन के साथ विवाह करवा कर मीना का घर बसा दिया गया. रोहन जैसे पढ़ेलिखे, समझदार पति को पा कर मीना खुश थी, पर अतीत के जख्मों की टीस उसे कभीकभी उदास और परेशान कर देती. मीना की उदास खामोशी रोहन ने भांप ली और प्यार, पुचकार व दुलार कर पत्नी के मन की टोह पाने की कोशिश की. पति के प्यार की गरमी ने मीना को मोम की तरह पिघला दिया, जिस में उस ने अपने विवाह पूर्व प्यार व उस के कारण हुए गर्भपात की कहानी रोहन को सुना डाली.
पत्नी के अतीत में छिपे सच को सुन कर पढ़ेलिखे समझदार पति को एक पल को समझ ही नहीं आया कि वह क्या करे? उस के भीतर एक द्वंद्व शुरू हो गया, दिल कहता, ‘प्यार गुनाह नहीं है, शोभित के कमजोर पड़ने की सजा मीना ही क्यों भुगते,’ पर दिमाग यह स्वीकार नहीं कर पा रहा था कि वह मीना के जीवन में आया पहला पुरुष नहीं है.