अमीरों के बच्चों के हाथों बड़ी तेज पावरफुल गाडि़यों से निर्दोषों की हत्याओं के मामले बढ़ रहे हैं. अब किस्तों में मर्सिडीज, औडी, जगुआर काफी आसानी से मिलने लगी हैं और नए पैसे वालों के बच्चे इन का मोह छोड़ नहीं पाते और इन्हें सैरसपाटे के लिए निकाल इन की पूरी पावर टैस्ट करने में लग जाते हैं.
हमारे देश में जहां रोड सैंस बिलकुल नहीं, तेज दौड़ती गाड़ी खाली सड़क पर भी खतरा है, क्योंकि कब कहां से कौन बिना देखे रुके निकल जाए, पता नहीं.
‘जौली एलएलबी’ में युवा बेटे के हाथों पटरी पर हुई मौत के से मुकदमे देश भर की अदालतों में चल रहे हैं. राजस्थान में सीकर के विधायक के बेटे ने जयपुर में 3 को बीएमडब्लू से मार डाला. अब वह 1-2 माह जरूर जेल में रहे, पर शानशौकत से मानो बैंगलुरु के जिंदल के स्वास्थ्य केंद्र में आया हो और फिर घरलौट जाएगा.
इस देश में बड़ी गाडि़यां शान के लिए जरूरी हैं स्पीड के लिए नहीं, क्योंकि यहां की सड़कों पर अनुशासन का नामोनिशान नहीं है. सड़कों का प्रबंध करने वाले असल में बिगड़ैल बच्चों से भी ज्यादा बिगड़े हैं और उन्हें कोई दोष नहीं देता.
नई तकनीक के कारण सड़कों की बनावट तो ठीक हो गई है पर उन पर चलने वालों की नहीं. पढ़ेलिखे कार वाले, स्कूटर वाले, अनपढ़ औटोरिकशा वाले, साइकिल वाले सब सड़कों को बेघरों के शौच करने की जगह सा मानते हैं, जहां जो मरजी जैसा मरजी करा जा सके.
इन सड़कों पर वे बच्चे जिन के खून में उबाल हो, दिमाग में मांबाप के पैसे की गरमी हो और हाथ में पावरफुल गाड़ी हो, वे मिनटों में आपे से बाहर हो जाते हैं. अगर साथ में शराब की बोतल, 2 गर्लफ्रैंड और 2 लड़के हों तो कहने ही क्या.