रैगिंग (Ragging) के कारण न जाने कितने बेकसूर बच्चे मौत के घाट उतर गए. 2009 में तो सरकार ने कई कड़े कनून भी लागू किए लेकिन हाल ही में गुजरात के पाटन में हुई एक घटना ने फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सरकार के द्वारा बने कानून अभी ऐसे सिरफिरों के लिए काफी नहीं हैं बल्कि अभी और सख्त कानून की आवश्यकता है.

गुजरात के पाटन में एक मैडिकल कालेज में पढ़ने वाले 18 साल के छात्र की मौत हो गई जिस की वजह सीनियर्स द्वारा ली गई रैगिंग है. छात्र को लगातार 3 घंटे तक डांस करवाया गया, गाने गवाए गए और शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिस कारण उस की मौत हो गई.

हालांकि रैगिंग करने वाले 15 छात्रों को कालेज ने सस्पैंड कर दिया है लेकिन आप के लिए यह जरूरी है कि इस विषय की पूरी जानकारी हो कि रैगिंग को ले कर कौन से कड़े नियम हैं जिन से हम ऐसे सिरफिरों को सबक भी सिखा सकते हैं और रैगिंग से बच भी सकते हैं.

रैगिंग पर देश में प्रतिबंध

यूजीसी (UGC) द्वारा निकाले गए प्रवधान में हरेक शैक्षणिक संस्थान के लिए अब ऐंटी रैगिंग कमेटी होना अनिवार्य है. इस कमेटी में टीचिंग, नौन टीचिंग स्टाफ, पेरैंट्स, स्टूडैंट्स, इलाकाई पुलिस अफसर, मीडियाकर्मी भी होते हैं. वहीं कालेज में जगहजगह रैगिंग के खिलाफ बोर्ड व होर्डिंग्स भी लगाने आवश्यक हैं.

यदि पीड़ित स्टूडैंट ऐंटी रैगिंग कमेटी के द्वारा किए गए फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह निकटतम पुलिस स्टेशन में जा कर शिकायत दर्ज करवा सकता है.

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