वायरस दर वायरस. हर तरफ वायरस. तरहतरह के वायरस. मीडियावायरस, राजनीतिकवायरस, धार्मिकवायरस, विचारधारावायरस, कट्टरतावायरस, खरीदवायरस और न जाने कौनकौन से और भी वायरस. ये न दिखने वाले नहीं, बल्कि दिखाई देने वाले वायरस हैं. इन वायरसों का उद्देश्य डेस्ट्रक्शन होता है, यानी नाश करना, आसान शब्दों में कहें तो नफरत पैदा करना व उसे फैलाना होता है. मतलब यह है कि समाज में मोहब्बत न बचे.

लेकिन, मानवतापसंद लोग मानवता से दूर नहीं हो रहे. वे मोहब्बत फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. लौकडाउन के समय में भी एक 60-वर्षीय मुसलिम मरीज को खून देकर जान बचाने के वास्ते हिन्दू रक्तदाताओं का रेला उमड़ पड़ा. इंसानी मोहब्बत और भाईचारे की इस मजबूत कड़ी में गृहिणी से लेकर कलक्ट्रेट के कर्मचारी तक शामिल रहे.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली शहर के निवासी 60 वर्षीय नूर मोहम्मद करीब एक सप्ताह से बीमार थे. उनकी तबीयत अधिक खराब होने पर उन्हें एक नर्सिंगहोम में भरती कराया गया, जहां उन्हें पीलिया बताते हुए डाक्टरों ने 10 यूनिट ब्लड की जरूरत बताई.

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मरीज नूर मोहम्मद के बेटे मोहम्मद अनवर बताते हैं कि लौकडाउन के चलते लोग अपने घरों से नहीं निकल पा रहे, ऐसे में इतने यूनिट ब्लड के बारे में सुनते ही सिर चकरा गया. बहरहाल, डाक्टर के जरिए ब्लडबैंक संचालक अजय संगल से संपर्क किया. इसके बाद चंद घंटों में ही रक्तदाताओं से ब्लड का प्रबंध हो गया. ये सभी 10 ब्लडडोनर हिन्दू हैं जिनमें गृहिणी सीमा मित्तल से लेकर कलेक्ट्रेट कर्मचारी मनोज कुमार तक शामिल हैं.

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