हमें केवल एक ईमेल भेजें कि आप पूजा करवाना चाहते हैं, आप के नाम की पूजा हम करवा देंगे. इस में इस का उल्लेख भी करें कि आप किस मंदिर में और कौन सी पूजा करवाना चाहते हैं. यह याद रखें कि कोई भी पूजा बिना दक्षिणा के पूरी नहीं होती. आप इस दक्षिणा का भुगतान चैक, डिमांड ड्राफ्ट या क्रैडिट कार्ड किसी भी माध्यम से कर सकते हैं.
पूजा समाप्त हो जाने के बाद इस की रसीद व प्रसाद आप को डाक द्वारा भेज दिया जाएगा. यह कार्य हम मानवता के नाते कर रहे हैं, ताकि आप घर बैठे पूजा का फल प्राप्त कर सकें. आजकल नैट खोलते ही ट्विटर, फेसबुक और मंदिरों की साइट्स पर ऐसे अनगिनत संदेश पढ़ने को मिल जाते हैं. हमारे देश में धर्म के नाम पर किसी को भी इमोशनली ब्लैकमेल करना या उस से पैसे ठगना बहुत पुराना धंधा है. लेकिन जब से नैट ने लोगों के जीवन में अपनी पैठ बनाई है और जीवनशैली में व्यापक बदलाव आया है, तब से धार्मिक आस्था को कैश करने के नएनए तरीके धर्म के ठेकेदारों ने ढूंढ़ लिए हैं. ऐसे समय में, जब लोगों की व्यस्तता इतनी बढ़ चुकी है कि वे तमाम मामलों में बातचीत न कर के उन्हें नैट भाषा में संदेश लिख संदेश सुलझाते हैं, तो पूजा का औन लाइन हो जाना हैरत की बात कैसे हो सकती है?
कस्टमाइज्ड औन लाइन पूजा
जो लोग तीर्थस्थलों पर नहीं जा सकते या विदेशों में रहते हैं, वे नैट के द्वारा घर बैठे ही केदारनाथ, बद्रीनाथ, वैष्णोदेवी, बालाजी, तिरुपति आदि तीर्थस्थलों के दर्शन करने के साथसाथ विधिवत पूजाअर्चना भी करवा रहे हैं. समाज में यह बड़ी तेजी से एक ट्रैंड की तरह उभर रहा है. अपने मनपसंद भगवान को चुनें और अपने बजट के अनुसार चढ़ावे को भी.
धार्मिक पोर्टल, इंटरनैट के शौकीन भक्तों को पुजारी मंदिरों में होने वाली प्रार्थनाओं की डीवीडी और आशीर्वाद से युक्त सूखे फूल और सिंदूर जैसे चढ़ावे भी भेजते हैं. आप की पूजा कितनी देर चलेगी और वह किस तरह की जाएगी तथा चढ़ावे का स्तर क्या होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप ने कितना धन भेजा है और अगर आप साथ में दान राशि भी भेजते हैं, तो आप के लिए स्पैशल पूजा की जाती है, जिसे कस्टमाइज्ड भी कहा जा सकता है. भारत के कई प्रसिद्ध मंदिरों की अपनीअपनी वैबसाइट्स हैं, जिन में त्योहारों के दिनों में स्पैशल सर्विस औफर की जाती है. ब्लेसिंग्स औन द नैट डौट कौम जैसी वैबसाइट भी इस तरह की सेवाएं दे रही है.
पूजा सामग्री भी उपलब्ध
यही नहीं, पूजा सामग्री डौट कौम जैसी अनेक वैबसाइट ऐसी हैं, जहां से आप विभिन्न मंदिरों की कस्टमाइज्ड औन लाइन पूजा सेवाओं का भी लाभ उठा सकते हैं. एक वैबसाइट के होम पेज पर लिखा है, ‘हम औन लाइन पूजा सामग्री उपलब्ध करवाते हैं. क्वालिटी की गारंटी के साथ हम यह दावा करते हैं कि हम से कम दाम में और कोई आप को यह सामग्री उपलब्ध नहीं करा सकता है. जिन लोगों के पास बाजार से सामग्री खरीदने का समय नहीं है, उन के लिए हमारी वैबसाइट पर पूजा के अनुसार सामग्री की सूची दी गई है.
‘आप की पूजा सामग्री को एक डब्बे में रख कर आप के घर तक पहुंचाया जाएगा. इस पूजा सामग्री किट में हर सामग्री का नाम लिखा जाता है. आप की खास पूजा के लिए हम कस्टमाइज्ड पूजा सामग्री भी उपलब्ध कराते हैं. इस के लिए आप को पूजा की तिथि से 5 दिन पहले हमें और्डर देना होगा और हम समय पर इस किट को आप तक पहुंचा देंगे.’
पूजा या व्यवसाय
जाहिर सी बात है कि औन लाइन पूजा के नाम पर धर्म के ठेकेदारों को पैसे कमाने का एक नया जरिया मिल गया है. ऐसे लोग, जिन के पास पैसा है तो पर समय नहीं है और जिन की दुनिया नैट पर ही चलती है, वे इन सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं. उन के लिए यह ऐसा सरल उपाय है, जो उन की धार्मिक आस्था को घर बैठे पूरा कर देता है. यह बात अलग है कि उन के लिए पूजा की भी जाती है कि नहीं, यह देखने वाला कोई नहीं है.
प्रार्थना डौट कौम की साइट खोलने पर आप जिस की पूजा करना चाहते हैं, उस पर क्लिक करें तो उस पूजा से जुड़े हर विकल्प सामने आ जाते हैं. साथ ही, फूलमाला, नारियल, अगरबत्ती, दीया, घंटी आदि पर क्लिक करें तो सब चीजें स्वत: ही भगवान के चरणों में अर्पित होने लगती हैं. घंटी बजने लगती है और दीए जल जाते हैं. मंत्रोच्चारण भी होता है और आरती भी. जिन लोगों के पास मंदिर जाने का समय नहीं होता, वे औफिस में बैठ कर या कार में आतेजाते इसी तरह की पूजा कर लेते हैं.
प्रत्यक्ष दर्शन करवाने के दावे कर नैट पर चल रही दुकानदारी का लाभ उठा रहे हैं मंदिरों के पुजारी और कर्ताधर्ता. प्रार्थना डौट कौम में 250 से अधिक देवीदेवताओं की पूजा की सुविधा है. एक साइट पर तो गणेशजी की विभिन्न मुद्राओं वाले स्क्रीन सेवर व वालपेपर भी हैं, जिन्हें आप डाउनलोड कर सकते हैं. भजनों को भी डाउनलोड किया जा सकता है. सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट ने तो मोबाइल द्वारा एसएमएस कर के पूजा कराने व घर पर प्रसाद मंगवाने की सुविधा भी शुरू की हुई है.
धर्म का प्रचार करने के लिए सभी धर्मों की वैबसाइट्स हैं. ‘आनंदपुर साहिब डौट ओआरजी’ पर सिख धर्म, ‘इसलाम डौट कौम’ पर इसलाम और ‘जैनिज्म डौट कौम’ पर जैन धर्म है, तो ‘आर्कबाम डौट कौम’ पर कैथोलिक धर्म की जानकारी दी गई है. मंदिरों या धर्म की वैबसाइट बेशक आप को पूजा या सामग्री उपलब्ध कराने की सेवाएं दे रही हैं, लेकिन वे दोहरा लाभ भी उठा रही हैं. एक तरफ भक्त से वे धन प्राप्त करती हैं, तो दूसरी तरफ विज्ञापनों से धन कमा रही हैं.
बेशक आज की पीढ़ी के लिए औन लाइन पूजा किसी स्टाइल या ट्रैंड से कम न हो, पर क्या इस तरह की दुकानदारी कभी उचित ठहराई जा सकती है? मंदिरों में जाने पर वैसे ही पुजारी लोगों को लूटने से बाज नहीं आते हैं और चढ़ावे के नाम पर अपनी जेब गरम करते हैं, उस पर से नैट पर होने वाली यह पूजा. आखिर धर्म को हम कहां ले जाना चाहते हैं?