छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में, जो जिला मुख्यालय धमतरी से 12 किलों मीटर की दूरी पर है वहाँ माँ अंगोरीमाता का प्रसिद्ध मंदिर है. यहां हर साल दिवाली के बाद पड़ने वाले प्रथम शुक्रवार को मेला लगता है और मडई का आयोजन होता है, यहां मां अंगारमोती के मंदिर में संतान प्राप्ति के लिए एक लंबी प्रथा चली आ रही है. जिसमें महिलाएं पेट के बल लेटती है और बैगा जनजाति के लोग उनके ऊपर से होकर गुजरते हैं. इसे परण कहा जाता है. मान्यता है की ऐसा करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है. 2020 में भी 200 से अधिक महिलाएं नींबू, नारियल और अन्य पुजा की सामाग्रीलेकर खुले बाल और पेट के बल लेटी रही और बैगा जनजाति के लोग उन्हें रौंद कर गुजरते रहे.
बता दें कि यहाँ के मडई को देखने के लिए हजारों लोग दूर-दराज के इलाकों से आते हैं. मडई के दिन नि:संतान महिलाएं बड़ी संख्या में यहाँ पहुँचती है. मान्यता है कि इस तरह महिलाओं के लेटने और उनके ऊपर से बैगाओ के गुजरने से माता की कृपा मिलती है और नि:संतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है.
2020 में कोरोना ने ऐसी तबाही मचाई कि लोग अपने घरों में कैद हो कर रह गए. इंसान, इंसान से भागने लगें. सड़कें गलियाँ सब सुनी-सुनी हो गई. लोगों को इस बीमारी से बचने का कोई उपाय नहीं मिल रहा था. छुआ-छूत की तरह कोरोना बीमारी लगातार फैलती ही जा रही थी. तब बिहार के एक गाँव, कुशीनगर, में कुछ औरतें कोरोना माई की पुजा-अर्चना करने लगी. उनका कहना था कि करुणा देवी के प्रकोप से यह सब हो रहा है और वही करुणा देवी, कोरोना बनकर हम सब पर कहर ढाह रही हैं. कोरोना माई की पुजा का दिन भी तय था. उनकी पुजा शुक्रवार और सोमवार को ही की जा सकती थी. महिलाएं लड्डू, फूल,लॉन्ग, दीपक, अगरबती से कोरोना माता की पुजा कर रही थीं.