‘‘देखो देखो सर ने बैल बजाई. अब डीप नैक का टौप और मिनी स्कर्ट पहने टीना कैबिन में पहुंच जाएगी और फिर अपनी आंखों को घुमाते हुए सर से ऐसे बातें करेगी कि वे उसे एकटक देखते रह जाएंगे. अरे सरजी, कभी हमें भी बुला लिया कीजिए. क्या हम में कांटे लगे हैं? आप कहें तो हम भी कल से शौर्ट्स पहन कर आ जाएंगी.’’

 ‘‘चुप कर पगली. हम कभी इतने छोटे कपड़े नहीं पहन सकतीं, भले हमें नौकरी ही क्यों न छोड़नी पड़े.’’

 ‘‘तो फिर क्या हम हमेशा यों ही कुढ़ती रहेंगी, अपनी अदाओं से बौस को नचाने वाली टीना को देख कर?’’

औफिस में उपस्थित सोनम और सुमन की बातें सुन कर स्टाफ के सभी लोग मंदमंद मुसकरा रहे थे, लेकिन टीना के कैबिन से बाहर आते ही सब के मुंह बन गए. टीना सब को यों घूर रही थी मानो मन ही मन गा रही हो, ‘ये दुनिया… ये दुनिया पीतल दी, बेबी डौल मैं सोने दी… बेबी डौल मैं सोने दी…’ और जवाब में स्टाफ कह रहा हो कि चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात…

बहुत से औफिसों का है यही हाल

यह हाल सिर्फ सोनम और सुमन के औफिस का नहीं, बल्कि ऐसे कई औफिसों का है, जहां सैक्सुअली ऐक्टिव रहने वाली लड़कियों का राज चलता है, जो अपनी बोल्डनैस के चलते बौस को अपनी जेब में रखती हैं और इस का खमियाजा बेचारी दूसरी लड़कियों को भुगतना पड़ता है. इस तरह की बोल्ड लड़कियों की वजह से स्टाफ की आम लड़कियों को किस तरह के मैंटल और फाइनैंशियल हैरेसमैंट का सामना करना पड़ता है, आइए जानते हैं:

बस हमें ही पड़ती है डांट

इस तरह की लड़कियां चाहे कोई भी गलती करें, बौस उन्हें जल्दी नहीं डांटता, बल्कि जिन की गलती नहीं है, उन्हें डांट कर अपना गुस्सा शांत करता है. ऐड एजेंसी में कार्यरत शशिकला यादव कहती हैं, ‘‘मेरे साथ कई बार इस तरह का वाकेआ हुआ है जब मेरी हौट कलीग की गलती पर बौस उसे डांटने के बजाय मुझे कैबिन में बुला कर फटकारने लगता है. शुरुआत में मैं कुछ नहीं कहती थी, लेकिन बाद में मुझे लगा कि उस की गलती की सजा मुझे क्यों? इसलिए फिर मैं बौस के पास सुबूत के साथ जाने लगी, उन्हें यह बताने को कि गलती किस की है. ऐसे में मजबूरन बौस को उसे बुला कर मेरे सामने डांटना पड़ता. अभिनय ही सही, लेकिन यह देख कर मेरे दिल को ठंडक मिलती है.’’

शशिकला की तरह ऐसी और भी कई लड़कियां हैं, जिन की गलती न होने पर भी बोल्डनैस परोसती लड़कियों की वजह से बौस की खरीखोटी सुननी पड़ती है.

हौट होती हैं लेकिन टेलैंटेड नहीं

ऐक्सपोर्टइंपोर्ट कंपनी में कार्यरत प्रीति कहती हैं, ‘‘मैं उस वक्त मन मसोस कर रह जाती हूं जब किसी मीटिंग में सीनियोरिटी और टैलेंट के हिसाब से बौस के साथ जाने का हक मेरा होता है, लेकिन बौस नए क्लाइंट से मिलने के लिए मेरी हौट कलीग को साथ ले जाता है. खून तो उस वक्त खौल उठता है जब मीटिंग से आने के बाद जो काम उसे करना है, वह मेरे मत्थे बौस यह कह कर मड़ देता है कि तुम उस से काफी सीनियर हो, इसलिए यह काम तुम करो. तब जी चाहता है कह दूं कि आप भी जानते हैं कि इसे कुछ नहीं आता, मैं इस से ज्यादा टेलैंटेड हूं, इसलिए आप यह काम मुझे सौंप रहे हैं.’’

इस में दोराय नहीं है कि कई कंपनियों में नए क्लाइंट से मिलनेमिलाने के लिए खूबसूरत लड़कियों को आगे किया जाता है, इस सोच के साथ कि शायद इन की ओर आकर्षित हो कर बात बन जाए. लेकिन इन लड़कियों की वजह से टेलैंटेड लड़कियों को जो सहना पड़ता है, उस की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता.

तेजी से बढ़ता है सैलरी ग्राफ

ऐसी लड़कियां जब किसी औफिस में खाली जगह भरने जाती हैं तो पहले ही अपनी हौटनैस दिखा कर अच्छा पैकेज पा जाती हैं और जैसेजैसे ये कंपनी में पुरानी होती जाती हैं इन का सैलरी ग्राफ भी बहुत बढ़ जाता है. हाल ही में पीआर एजेंसी जौइन करने वाली निशा सिंह कहती हैं, ‘‘मैं ने अपनी पुरानी कंपनी इसी वजह से छोड़ी थी, क्योंकि वहां 4 साल काम करने पर भी मेरी सैलरी 6 हजार बढ़ी, जबकि मेरी हौट और बौस से सब से ज्यादा क्लोज ऐक्स कलीग की 2 साल में ही 6 हजार सैलरी बढ़ाई गई, जबकि मैं उस से ज्यादा काम करती थी और उस से कहीं ज्यादा टेलैंटेड भी थी.’’

किसी कंपनी द्वारा ऐसा करना आम लड़कियों का आर्थिक शोषण नहीं तो और क्या है?

बौस की होती है खूब मेहरबानी

बात छुट्टी की हो या प्रमोशन की, सुनने के बाद बौस की भौंहें तन ही जाती हैं, लेकिन जब बोल्ड टाइप की इन लड़कियों को छुट्टी की दरकार होती है तो इन्हें बौस या एचआर की ओर से तुरंत मंजूरी मिल जाती है, जिस की वजह है बौस का इन पर जरूरत से ज्यादा मेहरबान होना. ऐसी लड़कियों को प्रमोशन के लिए खुद को प्रूव करने की जरूरत नहीं होती, जबकि बाकी लड़कियां इतनी मेहनत करने के बाद भी अपने  हक का पद नहीं पा सकतीं, प्रमोशन की तो बात ही छोड़ दें.

बैंकर रोशनी कहती हैं, ‘‘मेरे साथ भी यही हुआ था. मैं अपनी कलीग से ज्यादा सीनियर थी, लेकिन मेरी बजाय बौस ने मुझे मिलने वाली पोस्ट उसे दी थी, सिर्फ इसलिए, क्योंकि वह बोल्ड और हौट थी और मैं साधारण सी दिखने वाली लड़की. अत: मैं ने वह औफिस छोड़ दिया.’’

बाकी भी करते हैं जीहुजूरी

कहते हैं बौस अगर कह दे कि सूरज पश्चिम से उगता है तो कर्मचारी भी इसे ही सच मान लेते हैं. ऐसे में अगर बौस की किसी कर्मचारी पर विशेष कृपा हो, तो बाकियों को भी उस की जीहुजूरी करनी पड़ती है. बौस से करीबी की वजह से ऐसी लड़कियों के पैर कभी जमीं पर नहीं टिकते. किसी से बात करना तो दूर ये उन की तरफ देखती भी नहीं हैं. ऐसे में चपरासी से ले कर बाकी स्टाफ के लोगों को भी जरूरत पड़ने पर खुद इन से बोलना पड़ता है. इतना ही नहीं, अगर किसी चपरासी को एकसाथ कोई आम और इस तरह की खास लड़की काम कहे, तो वह भी पहले खास लड़की की ही बात सुनता है, क्योंकि वह उस से पंगा ले कर बौस की नजरों में नहीं आना चाहता, फिर चाहे आम लड़की का काम औफिस के नजरिए से ज्यादा खास ही क्यों न हो.

बोल्डनैस परोसतीं लड़कियां जाएं संभल

बोल्डनैस परोसती लड़कियों के विषय में यह कहना गलत नहीं होगा कि वे जो कुछ भी कर रही हैं, वह सिर्फ चार दिन की चांदनी है, आने वाली रात उन के लिए गहरा अंधकार ले कर आएगी. किस तरह की परेशानियों से उन्हें जूझना पड़ सकता है? आइए, जानें:

चार दिन की है चांदनी : आज आप के पीछे दीवानों की तरह घूमने वाला आप का बौस हमेशा आप पर यों ही लट्टू रहे यह जरूरी नहीं. यह खेल तो सिर्फ चार दिन का है. जहां आप की जवानी ढली, वहीं आप बौस की निगाहों से भी दूर होती चली जाएंगी. यह आप का हमसफर नहीं है जो जवानी के साथसाथबुढ़ापे में भी आप का साथ दे. यह भी हो सकता है कि कल को अगर आप से खूबसूरत लड़की औफिस में आए तो वह आप को छोड़ कर उस का दीवाना बन जाएगा.

झेलनी पड़ेगी बदनामी: माना कि बौस का साथ आप को पैसों के साथसाथ तरक्की की सीढि़यां भी मुहैया करवा रहा है, लेकिन यह न भूलें कि बौस की आप पर यह मेहरबानी आप के चरित्र पर सवाल उठा सकती है. आजकल की महंगाई में कोई बिना किसी फायदे के किसी को 1 रुपया तक नहीं देता, तो भला आप का बौस आप पर हजारों क्यों उड़ा रहा है, यह सवाल औफिस में गौसिप का विषय बन सकता है.

सैक्स सिंबल बन जाएंगी: आप के ऐसे रवैए से हो सकता है कि आप बौस और औफिस स्टाफ की नजरों में महज सैक्स सिंबल बन कर रह जाएं खासकर तब जब बौस शादीशुदा हो. ऐसे में बौस भी आप को सिर्फ अपनी आंखें सेंकने के इरादे से देखेगा और औफिस स्टाफ भी आप के प्रति बौस की रखैल का नजरिया रखेगा.

काम के साथ कामलीला भी: सब से बड़ा और कड़वा सच यह है कि बौस अगर आप की अदाओं पर फिदा है, तो वह आप से काम भी चाहता है और आप के साथ कामलीला भी करना चाहता है. ऐसे में आप यह सोचें कि आप सिर्फ कामलीला कर के बच जाएंगी और औफिस का काम नहीं करेंगी तो आप गलत हैं, क्योंकि आप को काम करने के लिए ही रखा गया है.

छंटनी में आप का नंबर होगा पहला: नुकसान होने पर कंपनी में छंटनी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. अगर आप के दफ्तर में भी छंटनी शुरू हो जाए, तो आप का नंबर सब से पहला होगा, क्योंकि आप जो भी काम कर रही हैं उस से बौस का केवल मनोरंजन हो रहा है, कंपनी का मुनाफा नहीं.

पर्सनल लाइफ में बढ़ेंगी मुश्किलें: अगर आप किसी औफिस में अपनी जवानी का इस तरह गलत फायदा उठा रही हैं तो हो सकता है कि आप की इतनी बदनामी हो कि वह बदनामी आप की पर्सनल लाइफ को भी डिस्टर्ब कर दे. यह न भूलें कि दुनिया बहुत छोटी है. आप के ये कारनामे अगर आप के होने वाले हमसफर के कानों में पड़ गए तो आप की शादी होनी मुश्किल हो जाएगी. अत: औफिस में प्रेजैंटेबल नजर आने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि यह तो एक अच्छी आदत है, मगर बोल्ड या हौट बनने की कोशिश भूल से भी न करें वरना बदनामी और खैराती तरक्की के अलावा आप को कुछ हासिल नहीं होगा. मेहनत से मिली तरक्की आप को सम्मान और संतुष्टि का एहसास दिलाएगी और आप जिंदगी का हर पल सुकून से जी पाएंगी.            

काम बोलता है चापलूसी नहीं

माना कि इस तरह की मानसिक प्रताड़ना आप के मनोबल को कमजोर कर सकती है, जिस से आप का आत्मविश्वास डगमगा सकता है, लेकिन दूसरों की वजह से अपनेआप को कमजोर न पड़ने दें. इस में आप का ही नुकसान होगा. बेहतर यही है कि आप ऐसे लोगों की गतिविधियों को नजरअंदाज करते हुए अपने काम पर ध्यान दें और अपने काम से मतलब रखें. कुछ लोग उन की बराबरी करने के लिए खुद भी वैसा ही बनने की कोशिश करते हैं, लेकिन आप ऐसा करने की गलती न करें. दूसरों की तरह बनने के बजाय अपनेआप को संवारें ताकि लोग आप की तरह बनना चाहें. यह बात गांठ बांध लें कि अगर आप टेलैंटेड हैं, काबिल हैं तो आप को कुछ बोलने की जरूरत नहीं है, काम खुद बोलता है.

क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट, निमिषा कहती हैं कि रिसर्च के अनुसार अकसर जब हम अंदर से कमजोर होते हैं, तो हमारा आत्मविश्वास डगमगाने लगता है, जिस से हमारे व्यक्तित्व में निम्न बदलाव आते हैं:

– हम दूसरों से खुद की तुलना करते हैं और खुद को उन से कम पाने पर अपनेआप को पीडि़त महसूस करते हैं, जो हमें मानसिक रूप से बीमार कर देता है.

– हम हीन मानसिकता का शिकार हो जाते हैं, जिस से अपनी तरक्की में हम खुद ही रुकावट बन कर खड़े हो जाते हैं.

– अपने अंदर की आग को शांत करने के लिए हम कई बार गलत राह पकड़ लेते हैं जैसे सिगरेट, शराब पीना आदि.

– बहुत ज्यादा स्ट्रैस लेने से हम कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं.

– हम जब अपने आसपास के वातावरण से खुश नहीं होते, तो उसे सुधारने के बजाय दूसरों को दोषी मानने लगते हैं.

– हम अपनेआप और दूसरों के आलोचक बन जाते हैं. अपने बेसिरपैर वाले आलोचनावादी विचार से अपना नुकसान तो करते ही हैं, दूसरों की आलोचना कर उन से भी रिश्ता बिगाड़ लेते हैं.

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