औरतों की सुरक्षा के मामले में अगर गोवा, केरल, मिजोरम, सिक्किम, मणीपुर आदि राज्य सब से सुरक्षितों में से हैं तो बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सब से असुरक्षितों में. जैंडर वल्नेरैबिलिटी इंडैक्स एक अर्धसरकारी संस्था प्लान इंडिया ने बनाया है और इस में जीरो से 1 तक अंक दिए गए हैं. गोवा को 0.656 स्तर दिया गया है तो दिल्ली को 0.436, उत्तर प्रदेश को 0.434 और बिहार को 0.410.
जो सुरक्षित राज्य हैं वहां औरतों को आजादी भी है, उन के साथ हिंसा भी कम होती है और वहां लड़कालड़की में भेद भी कम है. अच्छे राज्यों में औरतें अपना मनपसंद साथी चुन सकती हैं और खराब राज्यों में ऐसा करने पर मारपीट व हत्या तक हो सकती है.
इस रिपोर्ट ने एक भेद का एक कारण जो नहीं बताया वह यह कि सुरक्षित राज्यों में धर्म का बोलबाला कम है और असुरक्षित राज्यों में ज्यादा. असुरक्षित राज्यों में धर्म के चाबुक से औरतों पर रातदिन प्रहार होते हैं. उन्हें घर में भी ढंग से जीने नहीं दिया जाता, क्योंकि यही तो धर्म कहता है.
जिस समाज में सोच ‘ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी सकल ताड़ना के अधिकारी’ पर टिकी हो और जहां रातदिन धार्मिक गुणगान करा जाता हो तथा धर्माधिकारी राज कर रहे हों वहां तो ऐसा होना स्वाभाविक ही है. तुलसीदास ने ही नहीं, हमारे यहां हर पूजे जाने वाले देवीदेवता को खंगालेंगे तो स्त्री प्रताड़ना का उदाहरण सामने आ जाएगा. जो भी समाज जब भी औरतों को केवल खिलौना या गुलाम समझेगा, ऐसा होना स्वाभाविक ही है. आज इसलाम औरतों को बहुत अंकुशों में बांध रहा है और वहां औरतें घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं. पूरा पश्चिमी एशिया धर्म की लगाई आग में जल रहा है और अंगारे कभी यूरोप, कभी अमेरिका तो कभी भारत पर भी आ गिरते हैं.