दुनिया भर में करीब 10% लोग शराब की आदत या अलकोहलिज्म नामक बीमारी से ग्रस्त हैं. इन के शरीर में ऐसा रसायन विकसित हो जाता है, जिस की वजह से एक बार शराब पीने के बाद बारबार पीना इन की मजबूरी बन जाता है. इस रसायन का नाम है- ‘टैट्राहाइड्रोआइसोक्यूनालिन.’ कभीकभी व्यक्ति ऐंजौय करने के लिए या फिर गम में डूब कर शराब को गले लगाता है, तो कुछ शराब पीने को स्टेटस सिंबल मानते हैं. वजह जो भी हो, यह शौक कब लत और कब आफत बन जाए, कोई नहीं जानता.

पिछले दिनों मुंबई में एक युवती ने शराब पी कर सड़क पर खूब हंगामा किया. 15 जून आधी रात के वक्त एक युवती को शराब के नशे में ड्राइविंग करते देख कर पुलिस ने ‘ब्रीथ ऐनालाइजर टैस्ट’ के लिए उसे रोकना चाहा, तो पहले तो उस ने बच निकलने का प्रयास किया, मगर सफल न हो पाने पर स्वयं को कार में बंद कर लिया. शिवाजी बाली नामक इस युवती ने खास सीन तब क्रिएट किया जब वह 2 घंटे तक कार से बाहर नहीं निकली. अंदर बैठी सिगरेट पीती हुई ऊंची आवाज में गाने सुनती रही. इतना ही नहीं, उस ने पुलिस और मीडिया कर्मियों पर आपत्तिजनक कमैंट्स करते हुए नतीजे के लिए तैयार रहने की भी चेतावनी दे डाली. बाद में पुलिस ने कार का शीशा तोड़ कर उसे बाहर निकाला.

उस वक्त तक कार में खूब धुआं जमा हो चुका था. यदि पुलिस ने उसे निकाला न होता तो दम घुटने से उस की मौत भी हो सकती थी. पुलिस ने उस युवती के खिलाफ सैक्शन 185 (मोटर व्हीकल ऐक्ट) और सैक्शन 110 (बांबे पुलिस ऐक्ट) के अंतर्गत केस दर्ज किया. बाद में क्व2000 जुर्माना ले कर छोड़ दिया गया. इस से 5-7 दिन पहले 35 वर्ष की कारपोरेट वकील, जाह्नवी गडकर ने भी शराब के नशे में एक टैक्सी को टक्कर मार कर 2 लोगों को मार दिया.

नशा कर इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना आजकल आम बात हो गई है. शराब में जो नशा पैदा करने वाली चीज है, उसे अलकोहल या इथेनौल कहते हैं. इस की मात्रा से ही तय होता है कि शराब में कितना नशा है. नशा व्यक्ति की सोचनेसमझने की शक्ति छीन लेता है. शराब पी कर व्यक्ति को सहीगलत में फर्क की समझ नहीं रहती है यानी शराब एक तरह से इनसान के दिमाग को ब्लौक कर देती है. बदलते जीवनमूल्य और तनाव के इस माहौल में युवतियां भी शराब पीने में पीछे नहीं रही हैं.

असर महिलाओं पर अधिक

शराब का असर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर ज्यादा स्ट्रौंग नजर आता है. अध्ययन बताते हैं कि महिलाएं, जिन्हें शराब पीने की आदत है उन में आत्महत्या, ऐक्सीडैंट और दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से मृत्युदर पुरुषों के मुकाबले दोगुनी पाई जाती है. महिलाओं के शरीर में शराब उस तेजी से प्रोसैस नहीं कर पाती जितनी तेजी से पुरुषों के शरीर में करती है. महिलाओं का शरीर शराब की ज्यादा मात्रा अवशोषित करता है, मगर इसे तोड़ कर बाहर निकालने में समय ज्यादा लगता है, क्योंकि इन के शरीर में पानी की मात्रा पुरुषों की तुलना में कम होती है, जबकि शराब पानी में ही डिफ्यूज हो कर बाहर निकलती है. यही वजह है कि समान वजन वाले पुरुष और स्त्री यदि समान मात्रा में शराब पीएं तो महिलाओं के ब्लड में शराब की ज्यादा मात्रा पाई जाती है. डा. संदीप गोविल (सरोज सुपर स्पैशयलिटी हौस्पिटल) कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति में निम्न लक्षण नजर आएं तो उसे शराब की लत हो सकती है:

घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन.

तबात पर गुस्सा आना.

तनाव एवं मानसिक थकावट.

तेज सिरदर्द.

पसीना आना खासकर हथेलियों और तलवों में.

जी मिचलाना, भूख कम लगना.

शरीर में ऐंठन होना.

निर्णय लेने में कठिनाई.

याददाश्त कम होना.

नींद न आना.

सेवन से महिलाएं 2 तरह से प्रभावित होती हैं:

पहली ऐक्टिव यानी बायोलौजिकल: जब वे स्वयं इस का सेवन करती हैं और दूसरी पैसिव यानी मैंटली और फिजिकली. जब वे स्वयं नहीं पीतीं, मगर पति/बौयफ्रैंड/पिता/भाई या किसी और पुरुष के पीने की वजह से प्रभावित होती हैं. ऐक्टिव रूप में महिलाएं भावनात्मक वजहों से शराब पीने लगती हैं. इन वजहों में कुछ भी हो सकता है जैसे प्यार में धोखा, पति द्वारा मारपीट, बेवफाई, अलगाव, घर में कलह वगैरह या फिर सोशल स्टेटस और पीयर ग्रुप का दबाव वजह बन सकता है. कुछ महिलाएं तनाव दूर करने के लिए शराब का सहारा लेती हैं, तो कुछ पैसों के शोऔफ के लिए. वजह जो भी हो, शराब पीने का उन पर स्वास्थ्य संबंधी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है.

डा. एस.के. मुद्रा (सीनियर कंसलटैंट, इंटरनल मैडिसिन) के मुताबिक, अत्यधिक शराब का सेवन करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे लिवर डिजीज, कैंसर, पैप्टिक अल्सर के साथसाथ दूसरे कई गंभीर रोग होने की भी आशंका बढ़ जाती है. हृदयरोग और शराब: नियमित या अत्यधिक बहुत ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है. इस कारण हृदय की मांसपेशियों का रोग जिसे कार्डियोमायोपैथी कहते हैं, हो जाता है. अधिक मात्रा में शराब पीने से हृदय की धड़कनें अनियमित हो जाती हैं, जिसे अर्राइथमियास कहते हैं. 

डा. मुद्रा कहते हैं कि शराब को शरीर में स्टोर भी नहीं किया जा सकता, इसलिए शरीर इसे मैटोबोलाइज करने के लिए अधिक तेजी से कार्य करता है और इस प्रक्रिया में शरीर में संग्रहीत बहुत सारे विटामिनों व मिनरलों का उपयोग हो जाता है, जिस कारण पोषक तत्त्वों की अत्यधिक कमी हो जाती है. विटामिन बी कौंप्लैक्स की कमी के कारण ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन, हृदय और तंत्रिकाओं से संबंधित समस्याएं हो जाती हैं. पोटैशियम व मैग्नीशियम की कमी के कारण थकान, कमजोरी, भूख न लगना आदि समस्याएं हो जाती हैं.’’ शराब और प्रैगनैंसी: शराब की वजह से एक महिला की प्रैगनैंट होने की क्षमता भी प्रभावित होती है. प्रैगनैंसी के दौरान शराब का सेवन उस की संतान को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

शराब और कैंसर: जो महिलाएं शराब का सेवन करती हैं, उन्हें ब्रैस्ट कैंसर, हैड व नैक कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है. हाल के ताजा अध्ययन (जर्नल औफ द अमेरिकन मैडिकल ऐसोसिएशन में प्रकाशित) के मुताबिक 1 सप्ताह में 3 से 6 बार शराब का सेवन ब्रैस्ट कैंसर के खतरे को 15% तक बढ़ा देता है. जो महिलाएं शराब के नशे में रहती हैं, उन के सैक्सुअल असौल्ट का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही पर्सनल इंजरी की भी संभावना बढ़ जाती है. डिप्रैशन की भी संभावना बढ़ जाती है. 

क्रिमिनल साइकोलौजिस्ट और समाजसुधारिका, अनुजा कपर कहती हैं, ‘‘पैसिव रूप में यानी जब महिलाएं स्वयं शराब नहीं पी रही होतीं तब भी किसी और के पीने का खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है. कई दफा जब पति शराबी हो तो वह घर आ कर पत्नी के साथ मारपीट करता है, रुपएपैसे छीन लेता है, गहने बेच देता है, यहां तक कि अपनी सारी सैलरी भी शराब में लुटा आता है. घर में इस वजह से काफी तनाव पैदा होता है और इस सब का नतीजा औरत को ही भुगतना पड़ता है. यदि औरत कमा रही होती है, तो भी शराबी पति/पिता पैसे छीनने में गुरेज नहीं करते और न देने की स्थिति में हिंसा पर उतारू हो जाते हैं.

‘‘शराब पी कर पति की तबीयत खराब हो, वह ऐक्सीडैंट कर बैठे या फिर दूसरी औरत के चक्कर में पड़ जाए, हर तरह से पिसती औरत ही है. यही नहीं, महिलाओं का सैक्सुअल ऐब्यूज करने वाले भी आमतौर शराबी ही होते हैं. शराब इनसान के सोचनेसमझने की शक्ति को कुंद कर देती है, उसे जानवर बना देती है. शराब इनसान की धनदौलत, उस का वक्त, कैरियर सब कुछ तबाह कर देती है. यह सिर्फ पीने वाले को ही नहीं, उस के संपर्क में आने वाले को भी बुरी तरह प्रभावित करती है. ‘‘शराब पी कर दूसरों के साथ मारपीट करने, अपना आपा खोने से बेहतर है कि शराब पी ही न जाए. ‘‘जरुरी है कि हम जिम्मेदार इनसान बनें, अपने हक के साथसाथ दायित्वों के प्रति भी. हमें यह ज्ञान रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, उस का हमारे साथसाथ समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा? समाज हम से बना है और हमारा दायित्व गंदगी फैलाना नहीं वरन उसे साफ करना है. जब तक हम सचेत नहीं होंगे, दूसरे कुछ नहीं कर सकते. ‘‘शराब पी कर कभी ड्राइविंग का प्रयास न करें. लाखों लोग रोज रोड ऐक्सीडैंट में मारे जाते हैं. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि मरने वालों में ज्यादा संख्या उन लोगों की होती है, जो शराब पी कर ड्राइव कर रहे होते हैं.’’

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