अकसर स्कूल के दिनों में लङके गर्लफ्रैंड बनाने के लिए बङे उतावले दिखते हैं. उन के पास एक गर्लफ्रैंड तो होती है, घुमा वे कितनों को रहे होते हैं. उन का हाल शाहरुख खान के उस गाने की लाइन की तरह होता है जिस में कहते हैं,“हां, यहां कदमकदम पर लाखों हसिनाएं हैं…”

लेकिन लङके यह भूल जाते हैं कि ये हसिनाएं यानी उन की बनाई गई गर्लफ्रैंड्स उन के लिए किसी सिरदर्दी और जिम्मेदारी से कम नहीं है जिस के लिए वे अभी तक तैयार भी नहीं हो पाए हैं.

आइए, जानते हैं कैसे लङकों के लिए गर्लफ्रैंड रखना एक बड़ी जिम्मेदारी और सिरदर्दी का काम है :

* स्कूल में लङकों के लिए गर्लफ्रैंड का रिश्ता एक बड़ा डिस्ट्रैक्शन साबित हो सकती है. आप हमेशा उस के बारे में सोचते रहते हैं. स्कूल में अपना समय देने के बजाए आप की गर्लफ्रैंड हमेशा आप से समय मांगती रहती है.

ऐसे में आप अपने स्कूल से जुड़ी ऐक्टिविटीज को समय नहीं दे पाते और अगर देते हैं तो वह नराज हो जाती है, जिस से आप की पढ़ाई प्रभावित होती है, क्योंकि आप ध्यान नहीं लगा पाते.

* जब गर्लफ्रैंड से रिश्ते शुरू होते हैं और खत्म होते हैं तो लङकों की आपसी दोस्ती आमतौर पर महत्त्वपूर्ण तरीकों से प्रभावित होती है क्योंकि स्कूल में लङके सामाजिक और भावनात्मक रूप से कम परिपक्व होते हैं। वे अपने दोस्तों को अनदेखा कर के, उन के प्रति असंवेदनशील हो कर और नए गर्लफ्रैंड के साथ अपने 2 हफ्ते के रिश्ते के दौरान उन्हें अलगथलग महसूस करा कर उन्हें चोट पहुंचाते हैं जिस से उन के दोस्तों के बीच उन का नैगेटिव इंप्रैशन पङता है.

स्कूल के दिनों में हमें सेम जैंडर के दोस्तों का होना बहुत सहारा देता है. खासकर प्यूबरटीज के दिनों में जब भावनाओं का सैलाब सा दिमाग में उमड़ रहा होता है. लङके अकसर इन दिनों अपने मांबाप से बातबात पर बहस कर रहे होते हैं. ऐसे में दोस्त उन का सहारा बनते हैं.

* सुननी पङेगी गर्लफ्रैंड की ही : एक व्यक्ति के साथ स्कूल का सारा समय निकालना पड़ेगा। ऐसे में आप नए दोस्त बनाने से रह जाएंगे. आप मौजमस्ती नहीं कर पाएंगे. सोचिए कि क्या आप की गर्लफ्रैंड आप को दूसरों से बात करने देगी.

हमेशा किसी सीसीटीवी की तरह उस की नजर केवल आप पर रहेगी. किसी दूसरी लड़की से बात तक करना आप के लिए दुश्वार हो जाएगा. आप ने किसी लड़की की गलती से मदद भी कर दी तो आप गलत ठहरा दिए जाएंगे और आप को ब्रैकअप की धमकियां मिलने लगेंगी. ऐसे में आप अच्छे दोस्तों से वंचित रह सकते हैं.

* महंगी पङती है गर्लफ्रैंड : जब आप की स्कूल में गर्लफ्रैंड होगी तो आप को उसे घुमाना पड़ेगा, उस के लिए चौकलेट्स और टैडीबियर लाने पड़ेंगे, उसे उस की दूसरी गर्लफ्रैंड्स के साथ रैस्टोरेंट नहीं तो पटरी पर ही सही, कुछ न कुछ खिलाना पड़ेगा. बर्थडे हो या फिर वैलेंटाइन, आप के लिए उन्हें गिफ्ट देना जरूरी सा रिवाज हो जाएगा. नहीं तो उस के नाराज होने के 100% चांसेस होते हैं जिस के लिए घर से मिलने वाली पौकेटमनी पूरी पङेगी ऐसा होना मुश्किल है।

ऐसे में लङके अकसर घरों से चोरी करना शुरू कर देते हैं. कभी मम्मी के पर्स से तो कभी पापा के पर्स से और कभी स्कूल की जरूरतों का हवाला दे कर झूठ बोलना भी शुरू हो जाता है. ऐसे में गर्लफ्रैंड रखना किसी हाईब्रीड डौग को पालने जैसा हो जाता है.

* ब्रेकअप कर सकता है मैंटल हैल्थ पर असर : स्कूलों में लङके मैच्योर होने की तरफ बढ रहे होते हैं. प्यूबरटी इसी समय टीनऐजर्स को हीट करती है. ऐसे मे आप इमोशनली वीक हो सकते हैं हालाकि लङकों में ऐसा कम देखा गया है। अकसर इन दिनों में लङके बगावती हो जाते हैं लेकिन गर्लफ्रैंड के मामलो में वे कमजोर ही रहते हैं. ऐसे में अगर उन की गर्लफ्रैंड के साथ लड़ाई या ब्रेकअप हो जाता है तो वे मैंटली और अनस्टेबल हो जाते हैं. न पढ़ाई पर
फोकस हो पाता है और न ही स्कूल ऐक्टीविटीज में मन लगता है.

ऐसे में लङके अपना पूरा फोकस गर्लफ्रैंड को मनाने में लगा देते हैं जिस से उन की पढ़ाई प्रभावित होती है.

इसीलिए जरूरी हो जाता है कि स्कूल के दिनों में केवल और केवल पढ़ाई पर ध्यान दिया जाए. गर्लफ्रैंड और बायफ्रैंड्स के बजाय आप अच्छे दोस्तों पर फोकस करें जो आप के बौद्धिक विकास में मदद करे. स्कूल का समय आप के भविष्य को निर्धारित करता है, भविष्य में आप कितना अचीव कर पाएंगे यह कुछ हद तक हाई स्कूल में ही निर्धारित हो जाता है.

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