महत्त्वाकांक्षा जब स्मार्टनैस की चाशनी में डूब कर सामने आती है तो खतरनाक हो जाती है. सफलता हासिल करने के लिए वह कोई भी दांव चलने में पीछे नहीं हटती. जब उसे पैसे का सहारा मिल जाता है तो किसी भी कीमत पर अपना मुकाम हासिल करने की इच्छा बलवती होती जाती है. जघन्य से जघन्य अपराध करने से भी कदम पीछे नहीं हटते. स्मार्टनैस और महत्त्वाकांक्षा का तालमेल उच्च तबके से ले कर मध्यम और नीचे के तबके तक जाता है. मध्य और छोटे वर्गों के बीच घटने वाली ज्यादातर घटनाएं सामने नहीं आ पातीं. जो सामने आती हैं, उन में अपराध हो या नहीं पर महत्त्वाकांक्षा और स्मार्टनैस का तानाबाना जरूर दिखता है. मध्यवर्ग के पतियों के लिए इसे संभालना कठिन होता जा रहा है, जिस की वजह से परिवारों में बिखराव बढ़ रहा है.

इंद्राणी की कहानी

गुवाहाटी की रहने वाली इंद्राणी बोरा के कोलकाता होते हुए मुंबई आने तक की कहानी बहुत रोचक है. इस कहानी से पता चलता है कि महत्त्वाकांक्षा और स्मार्टनैस किस तरह से जिंदगी को प्रभावित करती है. गुवाहाटी की रहने वाली इंद्राणी के लिए अपने हिसाब से जिंदगी चलाना बहुत ही सरल काम हो गया था. इंद्राणी ने गुवाहाटी में अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद कालेज की पढ़ाई शिलौंग में पूरी की. इंद्राणी का असली नाम परी बोरा था. अपने नाम के हिसाब से इंद्राणी बहुत सुंदर थी. शिलौंग में इस की मुलाकात सिद्धार्थ दास से हुई, इंद्राणी कुछ साल सिद्धार्थ के साथ लिव इन रिलेशन में रही. इसी बीच 1987 में उस की बेटी शीना और 1988 में बेटा मिखाइल पैदा हुआ. बिना शादी के बच्चों के होने पर भी इंद्राणी पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था. उस ने बच्चों को अपने मातापिता के घर गुवाहाटी भेजने का फैसला किया. 1990 में इंद्राणी ने अपने दोनों बच्चों को उन के नानानानी के साथ रहने गुवाहाटी भेज दिया. बच्चों को गुवाहाटी भेजने के बाद इंद्राणी ने अपने प्रेमी सिद्धार्थ दास से भी संबंध तोड़ लिए. उसे छोड़ कर वह कोलकाता आ गई. कोलकाता में पेइंगगैस्ट के रूप में रह कर कंप्यूटर का कोर्स शुरू किया. यहीं उस की मुलाकात संजीव खन्ना से हुई. 1993 में इंद्राणी ने संजीव खन्ना से शादी की और वह इंद्राणी खन्ना बन गई. इस बीच इंद्राणी ने नौकरी दिलाने वाली कंपनी की स्थापना भी की. इस से उस के संबंध कई लोगों से बनने लगे. 1997 में इंद्राणी ने विधि को जन्म दिया. समाज के सामने यह इंद्राणी की पहली बेटी थी. 2001 में इंद्राणी कोलकाता से मुंबई आ गई. यहां 2002 में संजीव खन्ना से तलाक ले कर पीटर मुखर्जी से शादी की. पीटर मुखर्जी की यह दूसरी शादी थी. पीटर की पहली पत्नी का नाम शबनम था. उस से 2 बेटे राहुल और रौबिन थे. पीटर से शादी कर के इंद्राणी खन्ना इंद्राणी मुखर्जी के नाम से जानी जाने लगी. अपनी प्लेसमैंट कंपनी के साथ इंद्राणी आगे बढ़ने लगी.

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