पिछले कई सालों से स्मार्ट फोनों ने दुनिया को अपनी गिरफ्त में इस तरह ले लिया है मानो स्मार्टफोन का न होना, सूर्य का सुबह न निकलना हो. पढ़ेलिखे डाक्टर, विचारक, नेता हों या अधपढ़े मजदूर, छात्र, किसान सभी सारे दिन स्मार्टफोन में उलझे रहते हैं. स्मार्टफोन पर तरहतरह की जानकारी उपलब्ध है, गेम्स हैं, पढऩे की सामग्री है, वीडियो हैं, फिल्में हैं. वहीं, स्मार्टफोन बिजली खाते हैं, डेटा खाते हैं और सब से बड़ी बात यह है कि ये आम आदमी का समय खाते हैं.
हाथ में स्मार्टफोन हो तो हर समय क्या टैंप्रेचर है, यह देखा जाता है. सुबह से कितने स्टैप चल लिए, यह देखा जाता है. करीना कपूर और आलिया भट्ट ने आज क्या पहना, यह देखा जाता है. बिल स्मिथ ने औस्कर पुरस्कार के दौरान क्रिस रौक को किस तरह चांटा मारा, यह देखा जाता है. यूक्रेन के नष्ट होते शहर देखे जाते हैं. जिंद की लडक़ी का नाच देखा जाता है. मोदी का भाषण देखा जाता है. वृंदावन का आडंबर देखा जाता हैं. हिंदूमुसलिम विवाद की झलकियों का तमाशा देखा जाता है.
सारा दिन यही सब देखने में गुजर जाता है. इस से मिलता क्या है? बड़ा सा जीरो. जिंदगी सुधारने की कोई बात स्मार्टफोन पर शायद ही देखी जाती हो. यह तो वह झुनझुना है जो हाथ में है, तो बजाते रहो और खुश होते रहो. इसलिए अब लोग फिर डंब फोन पर लौटने लगे हैं. सीधे सिर्फ टैक्सट मैसेज और फोन कौल करने वाले नोकिया के फोन अब सफल लोग फिर तेजी से खरीद रहे हैं क्योंकि इन से उन का समय बच रहा है. हां, उन्हें अपने खास कामों के लिए बैग में आईपैड या कंप्यूटर रखना पड़ता है पर हर समय स्मार्टफोन के नोटिफिकेशन की पुंगपुंग से फुरसत मिल जाती है.
स्मार्टफोन स्मार्ट तो हैं पर जैसे हर स्टैंडअप कौमेडियन के शो में पिछले मजाकों के अलावा कुछ नहीं मिलता वैसे ही स्मार्टफोन का अनचैलेंज भंडार हर यूजर को और अधिक बेवकूफ बनाता है क्योंकि वह दिमाग की मैमोरी में बेकार फैक्ट्स इस कदर ठूंस देता है कि कुछ सोचनेविचारने का समय ही नहीं मिलता.
स्मार्टफोन से सही इंफौर्मेशन मिल सकती है, यह ऐसा कहना है कि शहर के बाहर बने कूड़े के ढेर में बहुत सी लगभग नई चीजें भी मिल सकती हैं. सवाल है, यह कौन करेगा. आज तो आप ने कुछ जानने के लिए गूगल पर नीदरलैंड टाइप किया नहीं कि कितनी ही साइटों पर नीदरलैंड के विज्ञापन दिखने लगेंगे. आप ने किडनी के बारे में जानने के लिए कुछ टाइप किया नहीं कि आप का स्मार्टफोन डाक्टरों के मैसेजों से भरने लगेगा जो आप की किडनी की रिपेयरिंग सस्ते में करा देने का वादा करेंगे.
स्मार्टफोन आप की गुलामी की निशानी है जिस में फोन की सुविधा और कुछ काम कीर ऐपों के बदले आप हर समय पब्लिसिटी के शिकार बने रहते हैं. स्मार्टफोन नए धर्म की तरह है जो आप को बेवकूफ बनाने के लिए स्वार्थहीन, परिश्रम, बड़ों के आदर जैसे कुछ वाक्य सुनाने के बदले आप से मोटा धन ही नहीं वसूलते, आप को किसी को जान से मारने के लिए उकसा भी देते हैं और अपनी जान देने को तैयार भी कर देते हैं. स्मार्टफोन हाथ में हो, तो आप को रेल की पटरियां क्रौस करते हुए आती ट्रेन की आवाज सुनाई नहीं देती. वहीं, वहां चलाने के दौरान स्मार्टफोन पर बात करना शुरू कर आप किसी को मार भी सकते हैं. यह भी सही है कि आज की मौजूदा स्थिति में स्मार्टफोन हम सब की जरूरत बन चुके हैं और अब इन से छुटकारा पाने का प्रयास करना गहरे काले अंधेरे में रोशनी की लाइन दिखने जैसा है.