‘रानी लक्ष्मी बाई ब्रेवरी अवार्ड 2017’ से सम्मानित दिव्या सिंह नैशनल वूमन बास्केटबौल टीम की फौरमर कैप्टन हैं. छोटे कटे स्टाइलिश बाल, गोरे रंग, मुसकराते चेहरे और स्मार्ट लुक वाली दिव्या 2006 में मेलबौर्न कौमन वैल्थ गेम्स में भारतीय बास्केटबौल टीम की कैप्टन थीं. कैप्टनशिप के बाद वह लगातार कोच के रूप में युवा खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देती रहीं. अपने गेम स्किल्स, लीडरशिप क्वालिटी, ऐकैडमिक स्ट्रैंथ और पर्सनैलिटी के लिए पहचानी जाने वाली दिव्या ने हाल ही में भारत में होने वाले पहले एनबीए (नैशनल बास्केटबौल एसोसिएशन) ऐकैडमी वूमंस कैंप में बास्केटबौल कोच के रूप में हिस्सा लिया.

बास्केटबौल की तरफ रूझान मूलरूप से जौनपुर की दिव्या का बचपन बनारस में बीता. यहां उन के पिता जौब करते थे. बनारस में ही उन की पढ़ाईलिखाई हुई. स्कूल के समय से ही बास्केटबौल उन के जीवन का अहम हिस्सा बन गया. पहले कालेज की बास्केटबौल टीम का हिस्सा बनीं, फिर स्टेट लैवल पर खेलीं. इस के बाद नैशनल और इंटरनैशनल लैवल पर खेलना शुरू किया.

उन का पूरा परिवार खिलाड़ी परिवार है. कुल 5 बहनों में 4 इंटरनैशनल खेल चुकी हैं. इन में सब से छोटी बहन की शादी क्रिकेटर इशांत शर्मा से हुई है. एक टूर्नामैंट के दौरान दोनों का परिचय हुआ. बात आगे बढ़ी तो हमेशा के लिए एकदूसरे का हाथ थाम लिया. एक जीजा भी बास्केटबौल खिलाड़ी हैं. भारत में बास्केटबौल खिलाडि़यों का भविष्य कैसा है? पूछने पर वे कहती हैं, ‘‘भारत में बास्केटबौल खिलाडि़यों के पास बहुत कम साधन हैं, फिर भी वे काफी अच्छा खेल रहे हैं. थोड़ाबहुत ध्यान दिया जाए तो हमारे खिलाड़ी काफी कुछ कर सकते हैं.’’

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