एक बोध कथा है जिस में अलौकिकता पर न जाएं. कथा के अनुसार, एक दिन शैतान मनुष्य के पास आया और बोला, ‘तुम सब मरने ही वाले हो. मैं तुम्हें मौत से बचा सकता हूं बशर्ते, तुम अपने नौकर को मार डालो, अपनी पत्नी की पिटाई करो या यह शराब पी लो.’
मनुष्य ने कहा, ‘मुझे जरा सोचने दीजिए अपने विश्वसनीय नौकर की हत्या करना मेरे लिए संभव नहीं, पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करना बेतुकी बात होगी. हां, मैं यह शराब पी लूंगा.’ उस के बाद उस ने शराब पी ली और नशे में धुत हो कर पत्नी को पीटा तथा जब नौकर ने उस की पत्नी का बचाव करने की कोशिश की तो नौकर को मार डाला.
उपरोक्त बोधकथा से मद्यपान के हमारे जीवन पर पड़ने वाले कुप्रभाव को भलीभांति समझा जा सकता है. निसंहेद मद्यपान का हमारे जीवन पर घातक प्रभाव पड़ता है. किंतु इस के बावजूद आज जिधर देखो उधर युवाबूढ़े, स्त्रीपुरुष, अमीरगरीब सभी इस घातक जहर की चपेट में नजर आते हैं. शराब पीना आजकल फैशन सा बन गया है. फैशनपरस्त लोगों ने साजसिंगार तथा वेशभूषा तक ही सीमित न रह कर शराब को भी उस के दायरे में समेट लिया है. शराब पीने से इनकार करने वाले को अब पुराने विचारों का तथा रूढि़वादी करार दिया जाता है और अपने को आधुनिक व प्रभावशाली साबित करने का इच्छुक हर व्यक्ति उस के खतरों को नजरअंदाज करते हुए या जानेअनजाने में इस के जानलेवा जाल में फंसता जा रहा है.
क्यों पीते हैं शराब
इस के कई कारण हैं. अकसर देखने में आता है कि मानसिक तनाव के कारण लोग शराब पीते हैं. जब व्यक्ति किसी समस्या का हल पाने में असफल होता है तो शराब पी कर उसे भूलने की चेष्टा करता है. अधिकांश मामलों में यही देखा गया है कि हताशा मद्यपान का कारण बनती है. पारिवारिक कलह, आर्थिक अभाव या कभीकभी शारीरिक यंत्रणा से मुक्ति पाने के लिए लोग इसे मुंह से लगा बैठते हैं. किंतु क्या इसे उचित कहा जा सकता है? शराब किसी समस्या का समाधान तो नहीं हो सकती या शराब पी कर भूलने से आप की समस्या का अंत तो नहीं हो जाता. किसी भी परेशानी से घबरा कर शराब पीना एक और परेशानी को गले लगाना है, उस से छुटकारा पाना नहीं.