हौलीवुड की सुपरस्टार ऐक्ट्रैस हेली बेरी सब से ज्यादा कमाई करने वाले सितारों की लिस्ट में कई सालों तक टौप पर रहीं. लेकिन उन के बारे में यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि इस जेम्स बौंड गर्ल को साल 1986 की मिस वर्ल्ड की प्रतियोगिता में 6वां स्थान दे कर एक तरह से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. जबकि उस साल की विजेता रही मिस वर्ल्ड जिसेले लारोंडे को त्रिनिदाद टोबैगो की पहली मिस वर्ल्ड होने गौरव मिला.
साल 1986 से अब तक करीब 30 साल से भी ज्यादा गुजर चुके हैं. उस साल की मिस वर्ल्ड जिसेले कहीं गुमनामीभरा जीवन जी रही हैं जबकि हेली बेरी आज भी दुनिया में कामयाब सितारा की हैसियत रखती हैं.
इस तुलना का उद्देश्य किसी खास शख्सियत की असफलता को आंकना या किसी को महिमामंडित करने का नहीं, बल्कि यह बताना भर है कि मिस वर्ल्ड, मिस यूनीवर्स, मिस प्लेनेट, मिस अर्थ, मिस इंडिया, मिस एशिया पैसिफिक, मिस इंडिया वर्ल्ड, मिस इंडिया यूनिवर्स जैसी ब्यूटी पेजेंट्स यानी सौंदर्य प्रतियोगिताओं के विजेता होने का मतलब यह नहीं कि अब आप का कैरियर हवाई स्पीड से आसमान को छू लेगा.
ब्यूटी कौंटैस्ट्स की 90 प्रतिशत विजेता महिलाओं का कैरियर किसी खास मुकाम पर नहीं पहुंच सका है जैसा कि उन के जीतने के समय प्रतीत होता है. भारत में भले ही इन सौंदर्य प्रतियोगिताओं को कामयाबी और शोहरत की गारंटी मानने की गलतफहमी हो लेकिन आंकड़े और असलियत कुछ और ही बयां करते हैं.
रिऐलिटी शो सरीखी है इन की जीत
भारत की ओर से इस साल मिस वर्ल्ड का खिताब जीत कर आईं मानुषी छिल्लर अभी पूरे देश में सितारा बनी हुई हैं. सरकार उन के नाम पर एक के बाद एक इनाम और तोहफों की बारिश कर रही है. निजी कंपनियां कई मौडलिंग असाइंमैंट देने के लिए बेताब हैं और फिल्म इंडस्ट्री कतार में खड़ी है कि वह मानुषी को फिल्मों में लौंच कर के ही दम लेगी.
लेकिन क्या इतना सबकुछ होने के बावजूद इस बात की गारंटी है कि मानुषी छिल्लर अपनी मौजूदा जीत की कामयाबी और सितारा कद को बरकरार रख पाएंगी? बिलकुल नहीं. ज्यादातर मामलों में तो ऐसा ही देखा गया है. दुनियाभर में जितने भी ब्यूटी पीजेंट हुए हैं उन में ज्यादातर की विजेता बहुत जल्दी ही कामयाबी की लाइमलाइट से बाहर हो गईं जबकि अन्य क्षेत्रों से आई महिलाओं ने ज्यादा नाम व शोहरत कमाई. यह हाल सिर्फ विदेश का ही नहीं, बल्कि भारत समेत दुनिया के हर देश का है.
सच तो यह है कि इन की जीत किसी रिऐलिटी शो सरीखी है जहां बड़े स्तर पर आयोजन होता है. दुनियाभर के दर्शक और जज आप का टैस्ट लेते हैं. जीतने पर एक बड़ी रकम और कुछ दिनों के लिए सुर्खियां मिलती हैं. लेकिन इस के बाद इन विजेताओं का कैरियर किस दिशा में जाता है, इस बात को किस को पड़ी होती है. स्पौंसर्ड कंपनियां, आयोजक और सैटेलाइट चैनल अपना मुनाफा कमा कर चलते बनते हैं और विजेता ग्लैमर व कामयाबी की लाइमलाइट में अंधा हो जाता है. वरना याद कीजिए कितने कौंटैस्ट, रिऐलिटी शोज और टैलेंट कंपीटिशंस के विनर्स अपनी कामयाबी को कायम रख पाए हैं? गिनती के नाम होंगे.
इन टैलेंट शोज की तरह ही मिस वर्ल्ड और मिस यूनीवर्स प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं, बड़ेबड़े सौंदर्य उत्पाद स्पौंसर करते हैं और रंगारंग जलसे में एक देश का प्रतिभागी जीत जाता है. लेकिन उस जीत के बाद उस प्रतिभागी का कैरियर गुमनामी की किस मांद में जा कर दम तोड़ देता है, इस की परवा किसी को नहीं रहती.
कितनी मिस वर्ल्ड व मिस यूनीवर्स कामयाब हैं?
सच को किसी सुबूत की जरूरत नहीं होती. जरा कुछ मिस वर्ल्ड या ब्यूटी पेजेंट्स के कैरियर पर नजर डाल लेते हैं, सब साफ हो जाएगा. अब तक भारत की ओर से कुल 6 महिलाओं ने मिस वर्ल्ड जैसे खिताब अपने नाम किए हैं. वर्ष 1966 में भारत की रीता फारिया पहली मिस वर्ल्ड बनीं. भारत और एशिया की पहली मिस वर्ल्ड होने का गौरव हासिल करने वाली रीता पेशे से डाक्टर हैं. खिताब जीतने के बाद उन से लोगों ने उम्मीदें लगाई थीं कि ये दुनिया में कुछ बड़ा करेंगी लेकिन मैडिकल पेशे को ही अपनाया और शादी कर के आयरलैंड में शिफ्ट हो गईं. बीच के कुछ साल उन्होंने कुछ ब्यूटी कौंटैस्ट में बतौर जज सक्रियता दिखाई लेकिन आज उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर न के बराबर ही देखा जाता है.
फारिया के बाद लगभग 28 साल बाद 1994 में ऐश्वर्या राय ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीता. यह वही साल था जब सुष्मिता सेन भी मिस यूनीवर्स बन दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रही थीं. लेकिन उस के बाद क्या हुआ. दोनों ने बौलीवुड में कैरियर आजमाया. सुष्मिता सेन का कैरियर कुछ फिल्में करने के बाद खत्म हो गया और अब वे इक्कादुक्का ब्यूटी इवैंट्स में शिरकत करती दिखती हैं जबकि ऐश्वर्या राय बच्चन आज भले ही नामी हस्ती बन गई हैं लेकिन प्रतियोगिता जीतने के बाद उन्हें अचानक से कोई कामयाबी नहीं मिली थी. खिताब जीतने के बाद कई सालों तक वे रीजनल फिल्मों यानी तमिल और तेलुगु में संघर्ष करती रहीं, फिर जा कर उन्हें हिंदी फिल्मों में काम मिला. बौलीवुड में सितारा हैसियत हासिल करने में उन्हें कई साल लग गए. जाहिर है इस में उन की अपनी मेहनत ज्यादा थी, खिताब जीतने की भूमिका कम.
ऐश्वर्या के बाद डायना हेडन ने 1997 में फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड का ताज जीता, और फिर एक ही साल में मिस वर्ल्ड का ताज जीता. ऐसा कर के, वे 1966 व 1994 में रीता फारिया और ऐश्वर्या राय के बाद, मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता जीतने वाली तीसरी भारतीय बनीं. लेकिन जितनी तेजी से डायना ने कामयाबी हासिल की, उतनी ही तेजी से कैरियर के मोरचे पर वे औंधेमुंह गिर गईं. फ्लौप फिल्म ‘अब बस’, ‘ओथेलो’ के फिल्मी संस्करण, ‘तहजीब’, ‘बिग बौस’ के बाद वे फिल्म इंडस्ट्री से गायब हो गईं. फिल्म ‘अब बस’ (2004) से जोरदार वापसी करने की कोशिश की थी. यह फिल्म हौलीवुड की सुपरहिट फिल्म ‘इनफ’ का रीमेक थी. पर इस फिल्म के बाद दर्शकों ने डायना को ही ‘अब बस’ कह दिया. इन दिनों वे किसी एनजीओ से जुड़ी हैं.
डायना के बाद साल 1999 में युक्ता मुखी ने भी मिस वर्ल्ड का खिताब जीता. खिताब ने युक्ता को बौलीवुड मे एंट्री करने का सीधा रास्ता दिखाया. पर उन की फिल्म ‘प्यासा’ बौक्स औफिस पर एक बूंद पानी को तरस गई और कैरियर वहीं खत्म हो गया. न्यूयौर्क के रईस बिजनैसमैन प्रिंस टूली के साथ शादी रचा ली, थोड़े ही समय बाद युक्ता ने अपने पति प्रिंस टूली पर मारपीट करने और अप्राकृतिक यौनसंबंध बनाने का आरोप लगा कर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है. खैर यह मामला तलाक पर जा कर खत्म हुआ.
वर्ष 2000 में प्रियंका चोपड़ा (मिस वर्ल्ड) और लारा दत्ता (मिस यूनीवर्स) ने इस खुशी को दोहराया. प्रियंका चोपड़ा ने भी कई सालों का संघर्ष और रिजैक्शन झेला और फिल्मी कैरियर बनाया, वरना साल 2000 में ही खिताब जीतते वे स्टार बन जातीं. उन के साथ ही मिस यूनीवर्स रहीं लारा दत्ता ने प्रियंका के साथ ही फिल्म ‘अंदाज’ से कैरियर स्टार्ट किया और वे अब ‘सिंह इज ब्ंिलग’ जैसी फिल्म में सहयोगी भूमिकाएं करने की मजबूर हैं. जाहिर है कैरियर औसत रहा उन का.
अन्य ब्यूटी पेजेंट्स भी
ढाक के तीन पात
मिस वर्ल्ड खिताबों से परे अन्य ब्यूटी पेजेंट्स की बात करें तो यहां भी बहुत कम सुंदरियां हैं जिन्होंने अपने कैरियर में कुछ उल्लेखनीय किया, वरना सब खिताब के जीत के बोझ तले दब गईं. अभिनेत्री सेलिना जेटली को देख लीजिए, साल 2001 में फेमिना मिस इंडिया यूनिवर्स चुनी गईं, उस के बाद फिल्मों में ‘जानशीन’ से डैब्यू किया और कुछेक फिल्मों के बाद घरगृहस्थी संभालने को मजबूर हैं. मिस इंडिया वर्ल्ड 2010 मनस्वी मामगई, मिस इंडिया इंटरनैशनल नेहा हिंगे का नाम भी अब कहां सुनने को मिलता है. साल 2000 में दीया मिर्जा फेमिना मिस इंडिया में मिस एशिया पैसिफिक बनीं. उस के बाद वे मिस एशिया पैसिफिक भी चुनीं गईं. बाकी की कहानी सब को पता है.
फिल्म, राजनीति और विवाद भी काम न आए
गुल पनाग ने 1999 में मिस इंडिया का खिताब जीता और मिस यूनिवर्स में वे टौप टैन में आईं. बाद में मिस इंडिया गुल पनाग ने ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’, ‘हैलो’, ‘धूप’ जैसी फिल्मों में काम किया. कहानी वही पुरानी. फिल्मों से राजनीति में आईं. आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ीं और एक अन्य अभिनेत्री किरण खेर से जा भिड़ीं. लेकिन असफलता ही हाथ लगी उन के. फिलहाल शौर्ट फिल्में कर कैरियर की गाड़ी किसी तरह खींच रही हैं.
गुल पनाग की तरह पूर्व मिस इंडिया नफीसा अली ने भी 2005 में दक्षिण कोलकाता से चुनाव लड़ा. लेकिन वे हार गईं. उन्होंने फिर 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की. लेकिन इस के बाद वे फिर से कांग्रेस पार्टी से जुड़ गईं और सोनिया गांधी से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए माफी भी मांगी. नफीसा अली ने कई बौलीवुड फिल्मों में काम किया. लेकिन कभी पहली कतार की सफल अभिनेत्रियों में उन का नाम नहीं आया.
मधु सप्रे ने 1992 में मिस यूनिवर्स कौंटैस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इस प्रतियोगिता में वे तीसरे स्थान पर रहीं. एक समय मौडलिंग जगत में उन के खूब चर्चे हुए थे एक विवादास्पद विज्ञापन में मिलिंद सोमन के साथ नग्न फोटोशूट को ले कर. फिलहाल, असफल कैरियर के साथ मधु सप्रे इटली में रह रही हैं और कभीकभी रैंप पर भी दिख जाती हैं.
मनप्रीत बरार ने 1995 में मिस इंडिया का खिताब जीता. मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में वे दूसरे स्थान पर रहीं. मेहर जेसिया ने 1986 में मिस इंडिया का खिताब जीता. उन्होंने फिल्म अभिनेता अर्जुन रामपाल से शादी की. इन का कैरियर भी मौडलिंग जगत तक सीमित रहा.
कई बार असफलता से भी ज्यादा बुरा हश्र हुआ है ब्यूटी पेजेंट्स का. मसलन, नफीसा जोसफ ने 12 साल की उम्र में मौडलिंग की दुनिया में कदम रखा और मिस इंडिया के मुकाम तक पहुंचीं. 2007 में मुंबई के अपने मकान में शादी टूटने की वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली.
2002 में मिस इंडिया चुनी गईं नेहा धूपिया, 2003 में मिस इंडिया का खिताब जीतीं. निकिता आनंद 2008 में मिस इंडिया वर्ल्ड चुनी गईं. पार्वथी ओमनाकुट्टन नायर 15 साल की उम्र में मिस इंडिया यूनिवर्स (1965) चुनी गईं. इन सब ने मौडलिंग व फिल्मी क्षेत्र में हाथ आजमाए लेकिन असफल रहीं. 2004 में फेमिना मिस इंडिया चुनी गईं सयाली भगत, 2004 में मिस इंडिया कौंटैस्ट जीत चुकीं तनुश्री दत्ता का भी ऐसा ही हश्र हुआ.
ग्लैमर बनाम संघर्ष और मेहनत
ऐसा नहीं है कि ब्यूटी पेजेंट्स में भाग लेने और जीतने वाली प्रतिभाशाली नहीं होतीं, इसीलिए कैरियर के मोरचे पर उतनी कामयाब नहीं हो पातीं. दरअसल, हर कामयाब इंसान के पीछे उस का संघर्ष, रिजैक्शन, धैर्य और सूझबूझ का हाथ होता है. जो इन सब से गुजर कर मंजता है वह ही कामयाबी की लंबी पारी खेलता है.
लेकिन इन ब्यूटी पेजेंट्स में किसी भी प्रतियोगी विजेता को रातोंरात इतना बड़ा स्टार बना दिया जाता है कि उसे संघर्ष की अहमियत ही समझ नहीं आती. घर बैठे ही ढेरों औफर्स की लाइन लग जाती है और कम समय में बिना किसी मेहनत व संघर्ष से जब काम आता है तो सहीगलत का चुनाव करने की सोच मंद पड़ जाती है. यही कुछ शुरुआती गलत फैसले स्टारडम की शुरुआती झलक दिखा कर इन्हें असफलता की राह पर ढकेल देते हैं. इसीलिए कई मौडल और ऐक्ट्रैस ने ब्यूटी खिताब तो खूब जीती होती हैं लेकिन अपनी जीत को वे कामयाब कैरियर में तबदील करने में पूरी तरह से चूक जाती हैं.
बहुत कम होती हैं जो प्रियंका चोपड़ा, ऐश्वर्या राय या हेली बेरी की तरह लंबा संघर्ष कर सफलता हासिल करती हैं. ज्यादातर खिताबी ग्लैमर और स्टारडम के नशे में चूर हो कर संघर्ष और रिजैक्शन का सामना नहीं कर पातीं और नतीजतन, आरंभिक चमकदमक के बाद की उन की जिंदगी अपेक्षाकृत गुमनामी या असफलता की डगर में गुजरती है. आने वाली पीढ़ी और लड़कियों को सलाह है कि जो ऐसे दावे करते हैं कि एक बार ब्यूटी प्रतियोगिता जीत गए तो आप का कैरियर सैट हो जाएगा, उन की न सुनें. हर प्रतियोगिता में भाग लें और जीतें लेकिन कामयाबी के मूलभूत सिद्धांतों को अनदेखा न करें.
कैसे होता है चयन
मिस इंडिया प्रतियोगिता विश्व सौंदर्य प्रतियोगिता में शिरकत करने वाली भारतीय सुंदरियों का चयन करती है. इस प्रतियोगिता से 3 सुंदरियों को चुना जाता है जो मिस वर्ल्ड, मिस इंटरनैशनल और मिस अर्थ में भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं. शुरूशुरू में इस तरह का कोई नियम नहीं था कि मिस इंडिया एक ही साल में मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकती. लेकिन बाद में जब फेमिना ने मिस इंडिया चुनने का जिम्मा संभाला तो इस में तबदीली की गई. अब इस प्रतियोगिता के विनर को मिस यूनिवर्स और रनरअप को मिस वर्ल्ड कौंटैस्ट में भेजा जाने लगा.
रोचक तथ्य
1995 से मिस इंडिया प्रतियोगिता में एक विनर चुनने का रिवाज समाप्त हो गया. यहां से 3 विनर चुनने की प्रथा शुरू हुई. अब तीनों ही विनर को बराबर की प्राइज मनी और ईनाम मिलते हैं. और इन्हें मिस इंडिया वर्ल्ड, मिस इंडिया यूनिवर्स और मिस इंडिया अर्थ का नाम दिया जाता है.
मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में इंदरानी रहमान भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला थीं. भारत ने पहली बार 1953 में मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में शिरकत की.
मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारत ने पहली बार 1959 में भाग लिया. फ्लेयूर इजेकियल मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में शिरकत करने वाली पहली भारतीय थीं.
अब तक भारत ने दुनिया को सर्वाधिक मिस वर्ल्ड दिए हैं. इस मामले में भारत वेनेजुएला की बराबरी पर है. भारतीय सुंदरियों ने 1966, 1994, 1997, 1999 और 2000 व 2017 में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता जीती है.
भारत की ओर से मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के लिए 1963, 1964, 1965 और 1967 में किसी प्रतियोगी को नहीं भेजा गया.
दिसंबर 2009 में दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में संपन्न हुए मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में प्रियंका चोपड़ा जज के रूप में शामिल हुईं.