कल अचानक पड़ोसिन मालती कुछ रुपए उधार मांगने आ गई. उस का उदास चेहरा बता रहा था कि दाल में कुछ काला है. मेरे पूछने पर डबडबाई आंखों से उस ने अपने पति की एक बाबा पर अंधभक्ति के विषय में बताया. आए दिन वह बाबा मालती के पति को आने वाले बुरे समय से डराता और पूजापाठ के नाम पर खूब रुपए ऐंठता. मालती और उस के घर वाले लाख मना करते, पर उस के पति के कानों पर जूं तक न रेंगती. नौबत यहां तक आ पहुंची कि मालती को बेटी के स्कूल में फीस जमा करवाने के लिए पैसे उधार लेने पड़े. अच्छेभले घर को इस दशा में पहुंचा कर मालती का पति न जाने कौन से आनंद भरे दिनों की कल्पना कर, उस बाबा पर सब निछावर कर रहा था. मालती के पति अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं. अंधविश्वास का शिकार हो कर रुपए बरबाद करने वालों की संख्या लाखों में है.
अंधविश्वास का दलदल प्रश्न है कि अंधविश्वास क्या है और मानव का अंधविश्वास से इतना गहरा रिश्ता कैसे जुड़ गया? यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो कुछ ऐसे विश्वास जिन्हें तर्क की कसौटी पर कसे बिना ही मान लिया जाए अंधविश्वास है. कुछ लोग अज्ञानतावश तो कुछ रूढि़वादिता के कारण अंधविश्वास का शिकार होते हैं. अंधविश्वास को धर्म से जोड़ कर धर्म के ठेकेदार व्यक्ति की इस कमजोरी का भरपूर लाभ उठाते हैं.
ग्रहनक्षत्रों का ढकोसला विज्ञान के वर्तमान युग में जब वैज्ञानिक नएनए ग्रहों की खोज कर उन के अध्ययन में लगे हैं, कुछ लोग अब भी इन ग्रहों को अपने जीवन के सुखदुख का आधार मान रहे हैं. बच्चे के जन्म लेते ही जन्मपत्री बनवा कर उसे ग्रहनक्षत्रों से जोड़ दिया जाता है. वह जीवन में कितना पढ़ेगा, जन्म के समय की ग्रहचालों के अनुसार वह कौन सा व्यवसाय करेगा, उस का विवाह कब होगा आदि की भविष्यवाणी ग्रहनक्षत्रों के अनुसार कर दी जाती है.
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