महिलाओं के आगे बढ़ने की राह में एक बड़ी बाधा है कहीं भी आनेजाने के लिए उन की पिता, पति या पुत्र पर निर्भरता. बाइक हो या गाड़ी, ड्राइविंग आसान नहीं होती. इसी वजह से ज्यादातर पुरुष ही ड्राइविंग सीट पर बैठते हैं.
मगर समय के साथ इस दिशा में भी अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं. नई तकनीकों ने ड्राइविंग को आसान बना दिया है. इस का बढि़या उदाहरण हैं ई बाइक्स, जिन्हें खासतौर पर बुजुर्गों, छात्रों और महिलाओं के लिए तैयार किया गया है.
पिछले 8 सालों में हीरो इलैक्ट्रिक करीब डेढ़ लाख ई बाइक्स बना चुकी है. इन में से करीब 35% ई बाइक्स महिलाएं ही प्रयोग में ला रही हैं. पिछले दिनों हीरो इलैक्ट्रिक के ग्लोबल बिजनैस के चीफ ऐग्जीक्यूटिव औफिसर सोहिंदर गिल से मुलाकात हुई. पेश हैं, उन से की गई बातचीत के मुख्य अंश:
ई बाइक्स वूमन फ्रैंडली कैसे हैं?
ई बाइक्स को चलाना बहुत आसान है. सब से बड़ी बात यह है कि इन में वियर ऐंड टियर पुरजे नहीं होते. सामान्य गाडि़यों में क्लच, गियर जैसे इतने झमेले होते हैं कि आएदिन कुछ न कुछ खराब होता रहता है. हर 3 माह बाद सर्विसिंग कराओ, ईंधन डालो. मगर हीरो इलैक्ट्रिक में सिवा एक मोटर के कोई वियरटियर पार्ट नहीं है. इसलिए ये गाडि़यां कभी सर्विस स्टेशन नहीं जातीं.
चलाते वक्त थ्रौटल जीरो कर दो, गाड़ी रुक जाएगी और बैटरी भी कटऔफ हो जाएगी. आप रैड लाइट पर खड़े हैं तो यह नहीं कि स्विचऔफ करना पड़ेगा. बस थ्रौटल जीरो कर दो. बैटरी की खपत बंद हो जाएगी. आप चाबी लगाने के बाद जैसे ही थ्रौटल को घुमाएंगे गाड़ी चलनी शुरू हो जाएगी. न क्लच, न गियर न ही कुछ और. हाथ में केवल साइकिल ब्रेक. स्पीड उसी से कम या ज्यादा कर सकते हैं. अगर आप ने 1-2 बार साइकिल चलाई है तो आप को इसे चलाने में कोई दिक्कत नहीं होगी.