ब्राइडल सीजन आने पर भी ब्यूटीपार्लरों को पहले जैसा बिजनैस नहीं मिल रहा है, जिस से ब्यूटी का बिजनैस ठप्प सा हो रहा है. जीएसटी से महिलाओं का ब्यूटी ऐक्सपैंस भी बढ़ गया है.

लखनऊ  की पौश मार्केट के ब्रैंडेड ब्यूटीपार्लर में एक महिला कस्टमर ने हेयर कटिंग और हेयर स्पा कराया. जब उस ने बिल देखा तो गुस्से से बोली कि कुछ अरसा पहले उस ने ये दोनों सेवाएं बहुत कम खर्च में ली थीं. यह सुन काउंटर पर बैठी लड़की ने समझाया कि पहले सर्विस टैक्स 12% था अब जीएसटी 18% हो गया, टैक्स बढ़ने की वजह से ही बिल अमाउंट बढ़ा है. उस महिला को यह बात समझ में नहीं आई. वह बढ़े बिलकी पेमैंट नहीं करना चाहती थी. अत: बोली, ‘‘आप बिल मत दो. मुझे टैक्स नहीं देना.’’

इस पर सैलून वालों ने कहा, ‘‘बिना बिल के हम काम नहीं करते, आप को टैक्स देना ही होगा.’’ काफी झिकझिक के बाद महिला ने बिल की पेमैंट कर दी पर सैलून से जातेजाते कह गई कि अगर आप टैक्स बंद नहीं करेंगे तो आगे से वह आप के यहां सर्विस लेने नहीं आएगी.

जीएसटी से बढ़ी मुश्किल

सैलून वालों से बात करने पर पता चला कि जीएसटी लागू होने के बाद से रोज ग्राहकों से इस तरह की झिकझिक होती है. ऐसे में कुछ ग्राहक ऐसे ब्यूटीपार्लरों में चले जाते हैं जहां किसी तरह का टैक्स नहीं लिया जाता है. असल में ये लोग ग्राहक को किसी तरह की रसीद नहीं देते. पर जीएसटी लगने के बाद से इन पार्लरों ने भी अपने रेट बढ़ा दिए हैं. मगर ब्रैंडेड पार्लरों के मुकाबले इन का रेट कम रहता है. अपने ठप्प होते बिजनैस को बचाने के लिए ब्रैंडेड पार्लरों ने नए तरीके से ग्राहकों को समझाना शुरू किया है. जीएसटी लगने के बाद पार्लर की सर्विस के रेट्स रिवाइज हो गए हैं. इन रिवाइज रेट्स में केवल ग्राहक के द्वारा ली जाने वाली सर्विस का रेट लिखा होता है. इस के ऊपर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लिया जाता.

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