दिल्ली के दक्षिणपुरी इलाके में (13 सितम्बर 2019 ) को इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई. दरअसल बच्ची के रोने से परेशान हो कर सौतेले पिता ने 3 साल की मासूम बेटी को गर्म चिमटे से जला दिया. अफ़सोस की बात यह है कि इस काम में बच्ची की सगी माँ सोनिया ने भी पति का साथ दिया. पड़ोसियों ने बच्ची के रोने की आवाज सुन कर चाइल्ड हेल्पलाइन में फ़ोन कर दिया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. बच्ची के साथ इस तरह के जुल्म करीब 4 माह से हो रहे थे. जब भी वह रोती थी उस का सौतेला बाप उस के साथ ऐसे ही मारपीट करता था.

घरेलू हिंसा जो बच्ची की मौत की वजह बनी

10 सितम्बर, 2019 को दिल्ली में 21 दिन की बेटी की हत्या करने के आरोप में पिता को गिरफ्तार किया गया. दिल्ली के द्वारका के बिंदापुर क्षेत्र में एक कारोबारी व्यक्ति ने पत्नी से झगड़ा करने के बाद 21 दिन की बेटी की हत्या कर दी. आरोपी ने पहले अपनी बेटी का गला घोटा और फिर उसे पानी की टंकी में डुबो दिया. बच्ची की 23 वर्षीय मां ने पुलिस में अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. युवती द्वारा दर्ज शिकायत के मुताबिक़ वह शुक्रवार को मायके जाने की योजना बना रही थी. बच्ची का जन्म 16 अगस्त को हुआ था. मुकेश इस बात को ले कर खुश नहीं था. वह बच्ची को छत पर ले कर गया और दरवाजा बंद कर इस घटना को अंजाम दिया.

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20 जुलाई, 2019 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक व्यक्ति ने शराब के नशे में अपनी डेढ़ वर्षीय मासूम बेटी की जमीन पर पटक कर हत्या कर दी. इस वारदात को आरोपी की बड़ी बेटी ने देखा. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, घटना के दिन आरोपी युवक अज्जू वर्मन ने नशे की हालत में अपनी डेढ़ साल की मासूम बेटी को सिर के बल पटक दिया जिस से उसकी मौत हो गई. युवक की पत्नी उस वक्त अस्पताल में भर्ती थी. रात के समय जब वह घर आया तो उसकी छोटी बेटी रो रही थी. तब उस ने मंझली बेटी को पीटा और छोटी बेटी को सिर के बल पटक दिया.

जब पिता ने किया यौन उत्पीड़न

हाल ही में(18 अगस्त, 2019 ) उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रिश्तों को शर्मसार करने वाली ऐसी ही घटना सामने आई. वहां एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया गया है जिस पर पहले अपनी ही बेटी से 2 साल तक रेप करने और बाद में उस की हत्या करने का आरोप है. आरोपी की पत्नी का निधन 15 साल पहले हो गया था. पीड़िता लड़की की उम्र 19 साल है.

बेटी के यौन उत्पीड़न का यह कोई पहला मामला नहीं है. इस से पहले देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम में एक युवक को अपनी आठ साल की बेटी के साथ कई महीनों तक रेप करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. लड़की पिछले कुछ दिनों से सामान्य व्यवहार नहीं कर रही थी, जब पड़ोसियों ने उससे पूछताछ की तो उसने यौन उत्पीड़न के बारे में बताया.

मार खाती बच्ची और गाली बकते बाप का वीडियो

मार्च 2019 में बिहार के कंकरबाग की एक बच्ची का वीडियो वायरल हुआ था. जिस में 5 साल की बच्ची का पिता कभी उसे थप्पड़ मारता है, कभी उस के कंधे तक के बालों को मुट्ठी में भींच कर उस का सिर पटक देता है तो कभी लात से मारता है।

बच्ची लगातार मार खा रही है लेकिन एक बार भी अपने घावों को सहला नहीं रही. उस के मुंह से एक बार भी आह सुनने को नहीं मिलता.उल्टा वह बारबार माफ़ी मांग रही है,” पापा हम से ग़लती हो गई…हम अपना क़सम खाते हैं कि कभी भी जन्मदिन मनाने के लिए नहीं कहेंगे…हम साइकिल नहीं मांगेंगे… हम को माफ़ कर दीजिए…”

जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, कंकड़बाग पुलिस ने इस शख़्स को तुरंत हिरासत में ले लिया. इस बच्ची का नाम जयश्री है और पिता का नाम कृष्णा मुक्तिबोध है.

राजस्थान का वीडियो

राजस्थान के राजसमंद जिले में देवगढ़ थाना ‘फूंकिया की थड़’ गांव से एक वीडियो वायरल हुआ जिस में दो मासूम बच्चों को उन का पिता सिर्फ इसीलिए खूंटी से बांध कर पीटता है क्यों कि मना करने के बावजूद बच्चे मिट्टी खाते थे और जहांतहां गंदगी कर बैठते थे। बच्चों के चाचा ने वीडियो बनाया और वायरल कर दिया। मामला उठा तो पुलिस कार्रवाई हुई। बच्चों को पीटने वाला पिता गिरफ्तार हुआ. वीडियो बनाने वाले चाचा पर भी कार्रवाई की गई. इस वीडियो को देख कर कोई भी सिहर उठेगा.

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ऐसे मामले एक दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में होते रहते हैं. पूरे देश में बच्चे घरेलू हिंसा के शिकार होते रहे हैं। दीगर बात यह है कि इस का कोई ऑफिशियल आंकड़ा तब ही रिकॉर्ड होता है जब शिकायत होती है। ज्यादातर घरों में लोगों को ही अंदाजा नहीं बच्चे जानेअनजाने किस तरह ‘घरेलू हिंसा’ का शिकार हो रहे हैं। बच्चों के प्रति मारपीट, उन की उपेक्षा, उदासीनता और अनदेखी, समय न दे पाना, अपेक्षाओ का बोझ ,धमकाना जैसी बातें आम हैं. मानसिक प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के ऐसे मामले बच्चों के व्यक्तित्व को प्रभावित करती हैं. कुछ मामलों में नौबत जान से हाथ धोने की आ जाती है.

यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में करीब 13 करोड़ बच्चे अपने आसपास बुलिंग या दादागीरी का सामना करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक हर 7 मिनट में दुनिया में कहीं न कहीं एक किशोर को हिंसा के कारण अपनी जान गंवानी पड़ती है। ऐसी मौतों की वजह झगड़ों के बाद हुई हिंसा होती है। वस्तुतः किशोरों में हिंसा की बढ़ी प्रवृति बढ़ का जवाब उन के बचपन में ही छिपा होता है।

21वीं शताब्दी के पहले सोलह सालों (वर्ष 2001 से 2016 तक) में भारत में 1,09,065 बच्चों ने आत्महत्या की है. 1,53,701 बच्चों के साथ बलात्कार हुआ है. 2,49,383 बच्चों का अपहरण हुआ है. कहने को हम विकास कर रहे हैं लेकिन हमारे इसी समाज में स्कूली परीक्षा में असफल होने के कारण 34,525 बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं. ये महज वो मामले हैं जो दर्ज हुए हैं. इन से कई गुना ज्यादा घरेलु हिंसा, बलात्कार और शोषण के मामले तो दर्ज ही नहीं होते हैं.

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