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जिसे कल तक साधारण खांसी जुकाम कह कर टाल दिया जाता था, करोना वायरस की वजह से अब हर पत्नी और मां के लिए एक चुनौती बन गया है. घर में किसी को भी हल्की सी खांसी जुकाम ही नहीं सिरदर्द, सुघने की शक्ति में कमी, छींकें, बहती नाक सब कोविड के असर हो सकते हैं. जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है वे तो खतरे से बाहर हैं पर जिन्होंने अभी तक नहीं लगवाई वे खुद भी खतरे में हैं और दूसरों के लिए भी खतरा हैं.

अब पीसीआरटी टैस्ट भी करवाना एक जिम्मेदारी बन गई है. वैक्सीन होने के बावजूद टैस्ट रिपोर्टें बाहर निकलने का पासपोर्ट सा बनता जा रहा है. घर के बढ़ते खर्चों में यह खर्च भी अब शामिल हो गया है और इतनी देखरेख भी पत्नी या मां को करनी पड़ रही है.

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दुनिया को बहुत देशों ने वैक्सीन को आजादी मान लिया और यदि 60-70 ' लोगों ने लगवा ली तो उन्होंने हर तरह की छूट देती है. भारत में अभी संख्या कम है और हालांकि सरकारों ने भूख से मरने के लिए बचने के लिए देश के लौकडाउन हटाने शुरू कर दिए हैं पर अभी सावधानी रखनी होगी और इस की पहली जिम्मेदारी औरतों की ही होगी. वे किसी तरह की ढील नहीं दे सकतीं. अब रोज की पूजा बंद करिए और घर में सैनिटाइजेशन और घरवालों के हाल की चिंता ज्यादा करें. अभी तक अच्छा है कि धर्म की दुकानें नहीं खुली पर अब भी खुल जाएं तो यह न भूलें कि कोविड से मरने वालों की लाशों को तो उन की गंगा मैया तक ने लेने से मना कर दिया है और बहाई गई सैंकड़ों लाशें वापिस तटों पर पटक दी गईं.

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