मोदी सरकार के रुख की वजह से आम बीमारियों से मरने वाले लोगों की भले ही संख्या कहीं अधिक हो चाहे आदमी कोरोनावायरस से ना आम बीमारियों से जरूर मर जाएगा.
असल में पूरी मेडिकल व्यवस्था पूरे देश में ठप कर दी गई है. सबसे बड़ी समस्या है कि अस्पतालों तक पहुंचने के लिए आम जनता के पास कोई साधन नहीं है.
एक साधारण आदमी इन जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए जब तक अस्पताल पहुंच पाएगा .तब तक भयावह स्थिति में पहुंच चुका होगा.
एक बार की तरह मोदी सरकार के द्वारा हड़बड़ी में लिया फैसला लोगों की मुसीबत का कारण बन चुका है.
पहले जनता कर्फ्यू ,उसके बाद 21 दिन का लॉक बंदी और अब 3 मई तक का टोटल बंद.एक ऐसा मुद्दा है जिस पर खुलकर कोई बात नहीं करना चाहता. कभी-कभी तो ऐसा मालूम होता है कि और सब बीमारियां भी हमारी सरकार के जैसे इस नोबल वायरस से डर गयीं हों.
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सबसे ज्यादा प्रभावित कौन
इस लॉक बंदी के चक्कर में सबसे ज्यादा प्रभावित गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यापन करने वाला तबका है. जो रोज कमाता था और रोज खाता था .आज उसके भूखे मरने की नौबत आ चुकी है. भले ही बहुत सी राज्य सरकारें अपने राज्यों की आबादी के लिए मुफ्त राशन व्यवस्था कर रही हो ,या उन्हें कुछ नकद राशि मुहैया करा रही हो,जैसा कि केंद्र सरकार ने घोषणा भी की थी .लेकिन क्या वाकई जरूरतमंदों को राहत पहुंच पा रही है? कहीं यह महज घोषणा ही तो नहीं? भले ही मनरेगा योजना हो या प्रधानमंत्री किसान योजना ;हम सब जानते हैं इन योजनाओं की हकीकत! ना तो जरूरतमंद को पैसा ही पहुंच पाता है और ना ही राशन. बिल्कुल कोढ़ में खाज जैसी स्थिति है कि सभी वर्ग के ,आधार से अकाउंट लिंक होने की वजह से अधिकांश लोगों को तो इन योजनाओं का लाभ ही नहीं मिल पाता.