सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में पिछले 45 वर्षों में आज सबसे ज्यादा बेरोज़गार हैं. देश की तकरीबन सभी राजनीतिक पार्टियां सत्ता का स्वाद ले चुकी हैं गठबंधन में रहकर ही सही. रामराज्य स्थापित करने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी को सत्ता मिली तो देशवासियों को रोजी तो मिली नहीं, उलटे, उनके रोजगार छिनने लगे.

बेरोज़गारी खत्म करने का वादा/दावा करने वाली सभी पार्टियों ने सत्ता में आने के बाद बेरोज़गारी को बढ़ाया है. आज वायरसरूपी वैश्विक महामारी से निबटने के नाम पर लागू किए गए लौकडाउन के चलते देश में 12 करोड़ लोगों से रोजगार छिन गया है. इतना ही नहीं, विदेशों में रोजीरोटी कमा रहे लाखों भारतीय रोजी छिनने के चलते वापस आने की कतार में हैं. ऐसे में स्थिति कैसी होगी जबकि बेरोज़गारी के चरम पर भारत पहले से ही है. आने वाला वक्त बहुत ही डरावना हो सकता है.

कोविड-19 को फैलने से रोकने को लगाए गए लौकडाउन की वजह से 12 करोड़ से ज़्यादा लोगों की रोज़ीरोटी छिन गई है. इनमें छोटेमोटे कामधंधे करने वाले और इस तरह के धंधों से जुड़ी दुकानों या कंपनियों में काम करने वाले लोग ज़्यादा हैं. सैंटर फ़ौर मौनिटरिंग इंडियन इकोनौमी यानी सीएमआईई ने अनुमान लगाया है कि इसमें से कम से कम 75 फीसद तो दिहाड़ी मज़दूर ही हैं.

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लौकडाउन की चपेट में आकर रोज़गार गंवाने वालों में सबसे अधिक लोग तमिलनाडु में हैं. दूसरी ओर, केरल पर इसका इस मामले में सबसे कम असर पड़ा है. इसके अलावा वेतन पर नौकरी करने वालों की तादाद भी कम नहीं है.

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