लड़कियों के कपड़ों की ऊंचाई से उन के कैरेक्टर को नापा जाता है. हमेशा यह विवाद खड़ा हो जाता है कि लड़कियों को किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए. कई बार बढ़ते अपराध का कारण भी इन छोटीछोटी ड्रैस को माना जाता है. लड़कियों के कपड़े कैसे हों, इस बात पर बहस होती रहती है. छेड़खानी, बलात्कार और ऐसी ही तमाम आपराधिक घटनाओं के लिए अकसर लड़कियों की ड्रैस को जिम्मेदार माना जाता है. तमाम संगठन, प्रशासनिक अफसर और बड़े नेता ऐसी लड़कियों को ही घटना का जिम्मेदार मानते हैं. ऐसे में यह स्वाभाविक बात उठने लगती है कि लड़कियां कैसे कपडे़ पहनें.
एक कहावत है कि खाना अपनी पसंद का और पहनावा दूसरे की पसंद का. इस का मतलब यह होता है कि ऐसे कपडे़ पहने जाएं जो खराब न लगें. बहुत सारे लोग इस बात के हिमायती हैं कि जैसा काम हो वैसे ही कपड़े पहनने चाहिए. एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम कर रही नेहा कहती हैं, ‘‘मैं पहले टीचर थी, उस समय सलवार सूट पहनती थी. जब होटल में नौकरी की तो साड़ी पहनने लगी. अभी मुझे एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी मिल गई है. मैं जिस पद पर हूं वहां वैस्टर्न कपड़े ही पहनने पड़ते हैं. मेरे परिवार वाले भी बात को समझते हैं और हमें किसी तरह की परेशानी नहीं होती.
काम और माहौल के अनुकूल कपडे़
सैमी वार्डरोब नाम से फैशनेबल ड्रैस बनाने वाली डिजाइनर समरीन खान कहती हैं, ‘‘टीनएज उम्र ऐसी होती है जिस में लड़कियों की एक छवि बनती है. इसलिए इस उम्र में कपडे़ पहनने का चुनाव बहुत ही सावधानी से करना चाहिए. यहां पर हमारी पोशाक हमारी पहचान बनाने में सहायक हो सकती है. टीनएज क्या पहनें इस का कोई नियम नहीं बनाया जा सकता. जींस पैंट, टौप, पैरलल सलवार सूट, चूड़ीदार सलवारकुरता और पैंटटीशर्ट आराम से पहने जा सकते हैं. जिन कपड़ों में आप के अंग खुलेखुले दिखते हों वैसे कपडे़ नहीं पहनने चाहिए. बहुत फिट कपड़े पहनते समय अंडरगारमैंट पहनने में भी सावधानी बरतनी चाहिए. अगर टाइट टीशर्ट पहन रही हैं तो उस के अंदर ऐसी ब्रा न पहनें जिस की सिलाई ऊपर से दिखती हो.’’