आवश्यक मगर दोषपूर्ण तालाबंदी से देश बरबाद हो गया है. पहले से ही खराब चल रही आर्थिक स्थिति को इस ने और बरबादी की तरफ ढकेल दिया है. तालाबंदी अभी भी जारी है, सो, इस से होने वाला नुकसान भी बढ़ता जाएगा.
तालाबंदी के चलते देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुक़सान होगा, इस का हिसाब अभी लगाना बेहद मुश्किल है. सरकार ने भी अब तक कोई अनुमान नहीं लगाया है.
लेकिन, मैनेजमैंट अध्ययन की संस्था इंडियन स्कूल औफ़ बिज़नैस और इंपीरियल कालेज लंदन ने मिल कर एक अध्ययन किया और उस के आधार पर अनुमान लगाया है कि लौकडाउन से भारत को कई ट्रिलियन डौलर का नुकसान पहुंचेगा.
नई दिल्ली से प्रकाशित एक इंग्लिश डेली की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अध्ययन के मुताबिक़, एक शहर में एक सप्ताह में औसतन 10 हज़ार करोड़ से 14,900 करोड़ रुपए का नुक़सान हुआ. इस की वजह उस जगह की उत्पादकता में 58 फीसदी से ले कर 83.4 फीसदी तक की कमी आई.
देशबंदी से दयनीयता :
देशव्यापी तालाबंदी अभी भी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है, लेकिन यदि यह मान लिया जाए कि 25 मार्च से शुरू हुई तालाबंदी 31 मई को ख़त्म हो गई तो शटडाउन 66 दिन रहा. इस आधार पर जो देश को हुए नुकसान की जो रकम बैठेगी, उस का अनुमान लगाना मुश्किल है पर समझा जाता है कि वह कई ट्रिलियन डौलर होगी.
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अर्थव्यवस्था ध्वस्त:
वहीं, उद्योगपति राजीव बजाज का कहना है कि भारत में ‘बेरहम लौकडाउन’ लागू किया गया और उन्होंने दुनियाभर में कहीं भी इस तरह के लौकडाउन के बारे में नहीं सुना. बजाज औटो के मैनेजिंग डायरैक्टर राजीव बजाज ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बातचीत में कहा, "दुनिया में कहीं भी इतना सख़्त लौकडाउन नहीं हुआ है. लौकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह ध्वस्त कर दिया. लौकडाउन के परिणाम ख़राब रहे हैं."