रविंद्र प्रभुदेसाई

मैनेजिंग डाइरैक्टर, पीतांबरी प्राइवेट लिमिटेड

करीब 33 सालों से अपने प्रोडक्ट्स की क्वालिटी, विश्वसनीयता और ग्राहकों को 100% संतुष्टि प्रदान करने वाले पीतांबरी प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के एमडी रविंद्र प्रभुदेसाई की शख्सीयत अनूठी है. उन्होंने 1986 में अपने पिता वामनराव प्रभुदेसाई के साथ मिल कर इस कंपनी की स्थापना की, जिस का उद्देश्य ग्राहकों को ईमानदारी, मेहनत और गुणवत्ता के साथ प्रोडक्ट्स का उन से परिचय कराना था. इस काम में वे सफल भी रहे और आज वे होमकेयर, फूडकेयर, हैल्थकेयर, अगरबत्ती, ऐग्रीकेयर, परफ्यूमरी, डिजिटल केयर और सोलर डिवीजन आदि सभी क्षेत्रों में अग्रणी हैं. हंसमुख और मेहनती रविंद्र प्रभुदेसाई से मिल कर उन की कंपनी और उत्पादों के बारे में जानना रोचक था. आइए, जानें उन की इस सफल जर्नी की कहानी, उन्हीं की जबानी:

सवाल- इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

मेरे पिता ने 20 साल रेलवे में नौकरी करने के बाद कुछ वित्तीय समस्या आने की वजह से ‘विक्रम ट्रांसपोर्ट’ के नाम से व्यवसाय शुरू किया था. मैं स्कूल की छुट्टी होने के बाद उन के साथ व्यवसाय में हाथ बंटाता था. इस दौरान मैं ने लोडिंगअनलोडिंग के बारे में करीब से जाना और मुझे व्यवसाय के बारे में कुछ और भी अनुभव मिले. मेरे पिता परफैक्शनिस्ट और स्ट्रिक्ट इंसान थे, जिस से मुझे उन के साथ काम करने में डर लगता था. इसलिए मैं ने अपने लिए कुछ अलग करना चाहा. पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं ने कुछ वक्त तक टाइल्स का व्यवसाय किया पर अनुभव की कमी होने की वजह से फेल हो गया. फिर सही तरह से काम करने के लिए मैं ने मैनेजमैंट का कोर्स किया.

सवाल- पीतांबरी की स्थापना कैसे की?

टाइल्स का व्यवसाय फेल होने के बाद मैं ने उसे बेच दिया और एक लिक्विड साबुन की कंपनी खोली. यह कंज्यूमर प्रोडक्ट नहीं था. इसे मेरे पिता की कंपनी में फैक्ट्री को साफ करने, कैटरर्स को उन के सामानों को धोने आदि के लिए प्रयोग किया जाता था. यह ‘बल्क’ में भेजा जाता था. इस से साल भर में 5 से 10 लाख तक कमाई होती थी, मगर बचते सिर्फ ₹2-3 हजार ही थे. मैं और मेरे पार्टनर ने मिल कर बहुत मेहनत की. मैं पैकेजिंग से ले कर लोडिंग तक का पूरा काम खुद ही किया करता था, क्योंकि पिता लाभ और हानि का पूरा हिसाब रखते थे.

मैनेजमैंट की पढ़ाई के दौरान मैं ने एफएमसीजी यानी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स के बारे में जाना, जिसे लोग दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं, फिर कुछ नया बनाने के बारे में सोचना शुरू किया और अपने उत्पाद कौप शाइन पाउडर को ही नया रूप दिया, क्योंकि अधिकतर घरों में तांबे और पीतल के बरतनों का प्रयोग पूजा और खाने के लिए होता था. इन्हें साफ करना मुश्किल होता था. इस गैप को मैं ने पकड़ा और कौप शाइन को कंज्यूमर गुड्स के रूप में रखा गया, जो तांबे और पीतल के बीच से निकाला गया शब्द है. यह होम केयर प्रोडक्ट बना. लोगों तक इसे पहुंचाने के लिए मैं घरघर जा कर एक काले बरतन को घिस कर दिखाया करता था और सैंपल उन्हें दे कर उन की राय जानने की कोशिश करता था. इस तरह लगभग 25 साल लगे पीतांबरी को स्थापित होने में.

सवाल- पिता की सोच को आप कैसे आगे ले जा रहे हैं?

पिता व्यवसायी के अलावा सोशल ऐक्टिविस्ट भी थे. व्यवसाय को बहुत बड़ा करने की सोच उन में नहीं थी. वे अपने काम से संतुष्ट थे. उन्होंने हमेशा मेहनत से काम किया और अपने साथ काम करने वालों की अच्छी तरह देखभाल की. उन की यह बात मुझे बहुत पसंद थी. 5 साल में मैं ने ₹10 करोड़ का व्यवसाय किया. एक कार्यक्रम के दौरान मैं ने 10 साल में ₹100 करोड़ का व्यवसाय करने की ठान ली थी. पहले मैं केवल महाराष्ट्र में ही काम कर रहा था फिर मैं ने पूरे देश में इस उत्पाद को फैला दिया. साल 2015 में मेरा व्यवसाय ₹100 करोड़ का हो चुका था.

सवाल- पीतांबरी के अलावा और कौन-कौन से उत्पाद हैं?

होम केयर में क्लीनिंग के सारे उत्पाद हैं. आयुर्वेद के भी उत्पाद हैं. इस के लिए हमारा रिसर्च ऐंड डैवलपमैंट डिपार्टमैंट काम करता है. आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स में बेबी मसाज औयल, बाल घुट्टी, पेन रिलीफ औयल आदि कई उत्पाद बाजार में मौजूद हैं. फूड के क्षेत्र में कैमिकल फ्री गुड़ पेश की है. इस के अलावा तिल का तेल, राइस ब्रान औयल, मिक्स औयल आदि कई उत्पाद हैं. ऐग्रो में गाय के गोबर से नैचुरल खाद बनाते हैं, जिस की बहुत मांग है. फूलों की सुगंध से अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया. सब से नया प्रोजेक्ट सोलर पौवर का है. हमारी जितनी भी फैक्ट्री हैं, उन में रूफ टौप सोलर लगवाया है.

मार्केटिंग के क्षेत्र में करीब 650 लोग हैं. खुद का सौफ्टवेयर है. मोबाइल पर भी खरीदफरोख्त का काम होता है, जो सौफ्टवेयर डिवीजन देखती है. इस तरह से कुल 9 डिवीजन हैं.

आज की महिला जागरूक है, ऐसे में किसी नए उत्पाद को हर घर में पहुंचाना कितना मुश्किल होता है और इसे कैसे करते हैं?हमारे इस काम में महिलाओं का जुड़ाव अधिक है. घरेलू कामकाज से जुड़े अधिकतर निर्णय महिलाएं ही लेती हैं. मैं पहले औफिस की महिलाओं को भागीदार बनाता हूं. उन्हें उत्पाद दे कर उन की राय जानने की कोशिश करता हूं. फिर बाजार में देता हूं. इस के बाद धीरेधीरे आगे बढ़ता हूं. मूल्य का भी ध्यान रखता हूं. पब्लिसिटी के लिए पत्रपत्रिकाएं, वैबसाइट्स, चैनल्स आदि का सहारा लेता हूं. इस के साथसाथ शौपकीपर के साथ भी अच्छा व्यवहार रखना पड़ता है ताकि वह मेरे उत्पाद से लोगों को परिचित कराए.

सवाल- क्या-क्या चुनौतियां आती हैं?

गुणवत्ता पर खास ध्यान देना पड़ता है. जैसा हम दावा करते हैं वैसा ही प्रोडक्ट देना चुनौती होती है. इस के लिए कच्चे पदार्थ की जांच करनी पड़ती है. यदि रिजैक्शन आता है तो दुकानदार से उत्पाद वापस ले कर ठीक कर फिर से उन्हें दिया जाता है. कई बार पब्लिसिटी का माध्यम गलत हो जाता है, जिस से लोग उत्पाद से पूरी तरह से परिचित नहीं हो पाते. बेचने के साथसाथ उत्पाद क्वालिटी पर भी नजर रखनी पड़ती है.

सवाल- महिला सशक्तिकरण की दिशा में आप की कंपनी क्या काम कर रही है?

महाराष्ट्र में ‘पीतांबरी महिला ग्राहक मंच’ चालू कर रहे हैं. काम करने की इच्छुक एक महिला को मंच का मुखिया बनाया जाएगा. महिला प्रशिक्षित होकर ऐप के जरीए बाकी महिलाओं से जुड़ कर व्यवसाय कर सकती है. अभी पीतांबरी के लगभग ₹100 से अधिक प्रोडक्ट्स हैं. हर शहर में यह मंच तैयार करने की इच्छा है. इस से उत्पाद सीधा उपभोक्ता तक कम दाम में पहुंच सकता है और इसे उपलब्ध कराने वाली महिला को भी इस का लाभ मिलेगा.

सवाल- किसी नए उत्पाद को खरीदते समय किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

हमेशा ब्रैंडेड प्रोडक्ट और अपनी जरूरतों को ध्यान में रख कर ही सामान खरीदें. केवल अच्छी पैकेजिंग को देख कर आकर्षित न हो जाएं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...