अनुजा कपूर
सामाजिक कार्यकर्ता
अनुजा कपूर क्रिमिनल साइकोलौजिस्ट हैं. कई समाचार चैनल व पत्रपत्रिकाएं उन्हें विभिन्न मुद्दों पर अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए आमंत्रित करते रहते हैं. अनुजा एलएलबी की डिग्री हासिल कर बतौर अधिवक्ता काम कर रही हैं. वे ‘निर्भया एक शक्ति’ नामक एनजीओ की संस्थापक भी हैं, जिस का उद्देश्य पीडि़तों के लिए काम करना है. अनुजा कपूर को सिटी राइजिंग स्टार अवार्ड समारोह में ‘आउटस्टैंडिंग अचीवर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. ‘सर्वश्रेष्ठ क्रिमिनल साइकोलौजिस्ट अवार्ड’ और ‘सर्वश्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता’ के पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. आइए, आप को अनुजा कपूर से हुई मुलाकात से रूबरू कराते हैं:
सवाल- आप को जिंदगी में कितना संघर्ष करना पड़ा?
मेरा संघर्ष कभी खत्म नहीं हुआ और सच कहूं तो हर स्त्री के लिए संघर्ष घर से तब से शुरू हो जाता है जब वह कहती है कि घर से बाहर काम करेगी. मेरा पहला संघर्ष था अपनेआप से, फिर इनलाज से, फिर पति और अपने मांबाप से. शादी के 13 साल बाद मैं ने अपनी अधूरी पढ़ाई फिर से शुरू की. अपनी ग्रैजुएशन कंप्लीट की.2007 में मु झे ब्रेन ट्यूमर हो गया. तब एहसास हुआ कि पलंग पर मरने से अच्छा है वह कर लूं जो करना चाहती हूं. सब को खुश नहीं कर सकती पर कम से कम खुद को तो खुश करूं. मैं ने क्रिमिनोलौजी की पढ़ाई की. फिर विक्टिमोलौजी और फोरेंसिक साइंस की पढ़ाई की. इस के बाद लौ पढ़ा ताकि अपने पास आए केसेज को न्याय दिला सकूं. इस दौरान मानसिक और भावनात्मक शोषण भी काफी हुआ. मैं मौडल टाउन थाना की औनरेरी स्पैशल पुलिस औफिसर हूं. अत: वहां पुलिस वालों के साथ उठनाबैठना पड़ता है. उन की कई गलत बातें भी सुननी पड़ती हैं. मैं लौयर भी हूं तो अपने सीनियर्स की बातें भी सुननी पड़ती हैं. उन की घूरती नजरों का सामना भी करना पड़ता है. आदमी की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि उस की नजरें आप के दिमाग या खूबियों से ज्यादा आप की खूबसूरती पर रहती हैं.
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सवाल- आप काम के साथ बच्चों की केयर कैसे करती हैं?
मेरा हमेशा यही प्रयास रहा है कि मेरा काम भी प्रभावित न हो और बच्चों की बेहतर केयर भी कर सकूं. मैं वीडियोकौल या फोन पर हमेशा उन के टच में रहती हूं. जब वे छोटे थे तो कई बार काम से जल्दी घर आ जाती थी. हैल्पर्स भी रखे हुए हैं और फोन पर अपना काम भी हैंडल करती रहती हूं. मैं हमेशा कोशिश करती हूं कि कम समय में ज्यादा से ज्यादा काम निबटा सकूं. अपना ज्यादा समय बच्चों को दे सकूं.
सवाल- आप अपने बच्चों के लिए कैसी मौम हैं स्ट्रिक्ट या लिबरल?
बच्चे यदि गलत काम करते हैं तो डांटती हूं और अच्छा काम करते हैं तो उन्हें रिवार्ड भी देती हूं. दरअसल, मैं बैलेंस्ड मौम बनना पसंद करती हूं न कि परफैक्ट मौम.
सवाल-एक मां के रूप में आप को सब से ज्यादा खुशी कब होती है?
सब से पहले जब बच्चों को जन्म दिया था तब खुशी हुई और फिर जब उन्हें इस लायक बना सकी कि वे औरतों की इज्जत करें, अपने मांबाप और देश का नाम रोशन करें. मु झे खुशी होती है कि मेरे दिए संस्कारों की वे इज्जत करते हैं.
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सवाल- जिंदगी में सब से ज्यादा डर किस चीज से लगता है?
मु झे इस बात का डर रहता है कि कहीं अनजाने में भी मैं किसी का दिल न दुखाऊं. किसी के भी साथ अन्याय न करूं.
सवाल- अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगी?
अपनी टीम को, बच्चों को और अपने पति को.