डौ. स्वाति पिरामल
इस चेयर पर्सन, पिरामल इंटरप्राइसेज लिमिटेड
वैज्ञानिक और उद्यमी के नाम से फेमस डा. स्वाति पिरामल की शख्सीयत सचमुच अनूठी है. उन्होंने पब्लिक हैल्थ के बारे में कई इनोवेशन किए हैं.
वे ‘पिरामल लिमिटेड’ की उपाध्यक्ष हैं. यह कंपनी सस्ती दवाएं उपलब्ध करवाने के लिए मशहूर है. मुंबई से डाक्टर की पढ़ाई पूरी कर डा. स्वाति ने ‘हार्वर्ड स्कूल औफ पब्लिक हैल्थ’ से मास्टर डिगरी ली. उन की शुरू से ही कुछ अलग करने की इच्छा रही, जिस में परिवार और पति का भी काफी सहयोग रहा. उन्हें पद्मश्री की उपाधि भी मिल चुकी है. उन की गिनती दुनिया की 25 मोस्ट पावरफुल महिलाओं में की जाती है. डा. स्वाति के अनुसार महिला का स्वस्थ और जागरूक होना बेहद जरूरी है, क्योंकि वही परिवार भविष्य का निर्माण करती है. महिला दिवस के अवसर पर उन्होंने औफिस की महिलाओं के लिए एक वर्कशौप का आयोजन भी किया था, जिस में महिलाओं को खुद ग्रो करने के तरीके बताए.
पेश हैं, पिरामल रिऐलिटी की पिरामल महालक्ष्मी के लौंच पर उन से हुए कुछ सवालजवाब:
सवाल- इस प्रोजैक्ट की प्रेरणा कहां से मिली?
मैं ने इस प्रोजैक्ट में बायोफिलिया कौंसैप्ट लिया है, क्योंकि हमारा शरीर प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ है, हरियाली से हमें सुखद अनुभव होता है, जिसे हम अब भूलते जा रहे हैं. मुंबई जैसे बड़े शहरों में लोग प्रकृति को खोजने पहाड़ों पर जाते हैं, क्योंकि उन्हें नेचर का साथ चाहिए. मैं ने जापान के टोकियो शहर में ट्रैवल के दौरान देखा कि वहां लोग छोटे घरों में रहते हुए भी प्रकृति को बचाने के लिए बहुत तत्पर रहते हैं. इसीलिए वहां बोन्साई पेड़ों का अधिक चलन है, जो कम जगह में उगाए जा सकते हैं. हमारे यहां इन का अभाव है. इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं ने सभी बिल्डिंग्स में ग्रीनरी की व्यवस्था की है. यहां आधी जमीन पर घर और आधी पर हरियाली होगी. यहां 60 थीम्स फेयरी गार्डन होंगे ताकि यहां रहने वाले सभी लोग प्रकृति का आनंद उठा सकें. इस के अलावा मैं पिछले साल लंदन के चेल्सिया फ्लौवर शो में भी गई थी. इस में पहली बार भारत से कोई आया था. मुझे वहां मैडल भी मिला. मुझे बहुत खुशी हुई. फिर लगा कि हमारे अंदर भी प्रतिभा है, जिस का प्रयोग करने भर की जरूरत है.
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सवाल- पर्यावरण को ले कर लोगों के जागरूक न होने के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ी है, जिस से आजकल मुंबई जैसे शहरों में भी तापमान काफी बढ़ गया है, इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगी?
ग्रीनरी और फ्लौवर्स के प्रति मेरी रुचि मैडिकल से ही हुई. प्लांट्स से दवा बनती है. मैं ने 50 हजार प्लांट्स, पत्ते, फंगाई, माइक्रोब्स आदि इकट्ठे किए थे. इन से मैं डायबिटीज, कैंसर जैसे रोगों के लिए दवा खोजती रहती थी. इस से मेरी रुचि इस ओर बढ़ती गई. मैं ने मुंबई में एक फ्लौवर शो किया, जिसे देखने 50 हजार लोग आए थे. खाने में आजकल सबकुछ पैकेज्ड होता है, इस से उस की न्यूट्रिशन वैल्यू कम हो जाती है. माइक्रोग्रीन एक नया कौंसैप्ट है, जिस में बीज उगाते हैं. पहला पत्ता उगने से पहले उस में न्यूट्रिशन वैल्यू 25% होती है. लंदन में मैं ने इस पर वर्कशौप किया और पाया कि बीज से उगाए गए किसी भी सलाद वाले प्लांट की न्यूट्रिशन वैल्यू बहुत अधिक होती है. इसे यहां भी हरकोई अपनी रसोई में ही उगा सकता है. हर नागरिक को पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए.
सवाल- आज भी हमारे देश में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी है. इस बारे में क्या कहेंगी?
हमारे देश में यह एक जटिल समस्या अभी भी है. मेरे हिसाब से रोग की रोकथाम पहले होनी चाहिए. बाद में इलाज की बारी आती है. निवारण में भोजन सही समय पर खाना, पोषक तत्त्व वाला भोजन लेना, व्यायाम करना आदि जरूरी होता है. गलत खाना पूरे शरीर को खराब कर देता है. खाना खाने से पहले जांच लें कि आप क्या खाने जा रहे हैं. यह सभी के लिए जरूरी है. इसीलिए मैं ने पिरामल फाउंडेशन की स्थापना की है, जो हैल्थ, ऐजुकेशन और पानी के लिए काम करती है. यह अभी 12 राज्यों में काम कर रही है. यह प्राइमरी हैल्थ सैंटर असम, पंजाब, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों में काम कर रहा है. इस में एक टीम को सप्ताह में 1 दिन एक गांव भेजा जाता है. हर गांव के लिए एक दिन निश्चित होता है. इस तरह पूरे राज्य को कवर किया जाता है. इस में प्रिवैंशन, जिस में हम डायबिटीज, एचआईवी, कैंसर जैसी बीमारियों के बारे में जानकारी, जांच के तरीके आदि सबकुछ बताते हैं ताकि लोगों में जागरूकता बढ़े.
सवाल- महिला ऐंपावरमैंट की दिशा में आप की कंपनी कितना काम कर रही है और महिलाओं को आगे लाना कितना जरूरी है?
महिलाओं का विकास बहुत जरूरी है. ब्रैस्ट कैंसर जो महिलाओं को ही अधिक होता है, इस का जब तक पता चलता है बहुत देर हो गई होती है. पूरे भारत में असम के कामरूप जिले में सब से अधिक महिलाएं ब्रैस्ट कैंसर से ग्रस्त हैं. मेरे हिसाब से इस की वजह वहां महिलाओं का धूम्रपान करना है. वे बहुत गरीब हैं, इसलिए बीमारी को नजरअंदाज करती हैं. मैं ने इस की जांच करने के लिए एक पिंक बस चालू की है, जिस में 24 महिलाएं काम करती हैं. यह बस पूरे क्षेत्र में घूमघूम कर ब्रैस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग करती है. इस काम से महिलाओं को फायदा मिल रहा है. असम के बाद मुंबई में सब से अधिक महिलाएं ब्रैस्ट कैसर से ग्रस्त हैं. महिला के स्वस्थ रहने पर ही पूरा परिवार स्वस्थ रहता है.
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सवाल- आपने काम के साथ परिवार को कैसे संभाला?
मैं ने कभी समय को व्यर्थ नहीं गंवाया. मैं ने हमेशा पूरे दिन की प्लैनिंग की और उस के हिसाब से काम किया. इस के अलावा मैं ने हर काम को कुशलतापूर्वक किया है. जो काम आज करना है उसे कल पर कभी नहीं टाला. मुझे खाना बनाना पसंद है, इसलिए जब भी समय मिलता मैं बच्चों के लिए हैल्दी फूड बनाती हूं. इस से मुझे खुशी मिलती है और मैं स्वस्थ रहती हूं.
सवाल- आप की फिटनैस का राज क्या है?
फिटनैस का कोई राज नहीं है. काम को समय पर करना मेरी हमेशा प्राथमिकता रही है. मैं ट्रैवल भी बहुत करती हूं और थकान भी महसूस करती हूं, लेकिन जब आप किसी काम को करते हैं तो उस काम से हुए बदलाव को देख कर बहुत खुशी होती है.
सवाल- आगे क्या प्लैनिंग की है?
पिरामल रिऐलिटी में बहुत सारे प्रोजैक्ट हैं. सब में बायोफिलिया का थीम है ताकि बच्चे अच्छी तरह ग्रो करें. स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर ही ये सारे प्रोजैक्ट बनाए जा रहे हैं. इस के अलावा सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में भी और अधिक काम करने की इच्छा है. उस की प्लैनिंग चल रही है. पानी की कमी को ले कर अभी बहुत सारा काम महाराष्ट्र में करना है. यह नई चुनौती है. वहां ऐसा क्या करें कि सब को पानी मिले खासकर विदर्भ एरिया में इस की बहुत समस्या है.
सवाल- महिलाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेंगी?
अपना काम हमेशा उत्साह से करें. जब जिस काम को करने की सोचें उसे तभी करें. इस से परिवार और आप के अंदर सकारात्मक विचार का सृजन होगा, जिस से आप अच्छा महसूस करेंगी.