वीगन एक नया सा आंदोलन जो भारतीयों के लिए अजूबा नहीं है पर विदेशों में खासा लोकप्रिय हो रहा है. वीगन यानी वैजीटेरियन पशुओं से बने किसी खाने को नहीं खाने का संकल्प यानी पशुओं से मिले कोई भी उत्पाद, न मीट, न दूधदही, न शहद, न अंडे. वे चमड़े की चीजों का भी उपयोग नहीं करते. कौस्मैटिक्स खरीदते समय तक भी खयाल रखते हैं कि उन में एनीमल प्रोडक्ट न डले हों.

स्वीडन के राजदूत ने मुझे बताया कि स्टौकहोम में जब वह 60 साल से ऊपर के लोगों को खाने पर बुलाता तो ज्यादातर मांसाहारी ही होते पर 40 आयु से कम वालों के लिए उसे वीगन डिशेज भी रखनी होती हैं.

मेरे मंत्रालय ने हाल ही में नैशनल और्गेनिक मेला लगवाया जिस में 450 स्टाल लगे थे. कई हजार लोग उस में आए थे. काफी स्वादिष्ठ व्यंजन थे. एक व्यक्ति ने औनलाइन वीगन शौपिंग मौल खोला है और लगभग 800 आइटम बेच रहा है. उसे पैसा लगाने वालों की कमी नहीं पर उस का प्रचार करने वाले नहीं मिल रहे. नागपुर के 2 युवाओं ने बादाम का दूध बनाना शुरू किया है और अब बिक्री की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं.

फैलता कारोबार

दुनियाभर में वीगन व्यवसाय पनप रहा है और उस की खासी मांग है पर सप्लाई कम है. युवा व्यवसायी समझ नहीं पा रहे कि किस तरह के व्यवसाय करे जा सकते हैं. माइकल ओफी नाम का एक उत्साही वीगन मिनिमलिस्ट साइट चलाता है और उस ने बहुत से सुझाव दिए हैं जिन्हें मुनाफे का व्यवसाय बनाया जा सकता है.

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