संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की. इस में दुनिया के 75 देशों और क्षेत्रों में शिक्षा और राजनीति समेत विविध क्षेत्रों में लैंगिक भेदभाव का विश्लेषण किया गया. रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि दुनिया में कोई भी देश ऐसा नहीं है, जहां लैंगिक समानता हो. रिपोर्ट के मुताबिक 86 फीसदी महिलाएं और 90 फीसदी पुरुष, महिलाओं के प्रति किसी न किसी तरह का भेदभाव (2018) बरतते हैं.
रिपोर्ट से यह पता चलता है कि दुनिया के लगभग आधे पुरुष और महिलाएं महसूस करते हैं कि पुरुष बेहतर राजनीतिक नेता बनते हैं और 40% अधिक लोगों को लगता है कि पुरुष बेहतर व्यावसायिक अधिकारी बनते हैं.
इसलिए दुनियाभर में केवल 24% संसदीय सीटें महिलाओं के पास हैं, और सरकार की संभावित 193 महिला प्रमुखों में से केवल 10 हैं.
राजनीति में पूरी भागीदारी नहीं
अमेरिका जैसे बड़े देश की ही बात करें तो काबिलियत के बाद भी अमेरिका की प्रथम महिला हिलेरी क्लिंटन को वह स्थान नहीं मिल पाया, जिस की वह हकदार थीं.
कौन है हिलेरी क्लिंटन:
हिलेरी डायेन क्लिंटन अमेरिका के न्यूयार्क प्रांत से कनिष्ठ सेनेटर हैं. वे अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हैं और सन 1993 से 2001 तक अमेरिका की प्रथम महिला रहीं. बराक ओबामा के कार्यकाल में हिलेरी क्लिंटन विदेश मंत्री थीं. अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में डैमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी के लिए दावा पेश किया था. हिलेरी का कहना था कि वह अमेरिकी लोगों की चैंपियन बनना चाहती हैं लेकिन वे ट्रंप से हार गईं. हिलेरी क्लिंटन ने 2008 में भी डैमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पेश की थी, लेकिन बराक ओबामा से भी वे हार गईं.
राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार की वजह हिलेरी क्लिंटन ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को ठहराया. उन्होंने यह भी कहा कि मुझे दुख इस बात का है कि मैं ट्रंप को राष्ट्रपति बनने से नहीं रोक पाई.