आज से 32 साल बाद यानी 2050 में विभिन्न धार्मिक समुदायों के हिसाब से कैसा होगा दुनिया का नक्शा...
अमेरिका की जानीमानी सर्वेक्षण संस्था ‘पीयू’ द्वारा दुनिया के प्रमुख धर्मों की आबादी के ट्रैंड्स के बारे में कुछ समय पहले जारी की गई रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है. रिपोर्ट ने कई देशों की नींद उड़ा दी है. यदि ये ट्रैंड्स सही साबित हुए तो दुनिया के कई देशों का भूगोल बदल जाएगा. आज विश्व का हर देश इस बदलाव से अपने देश पर होने वाले असर के बारे में सोच रहा है. ऐसा स्वाभाविक भी है क्योंकि आज के लोकतांत्रिक युग में जनसंख्या धर्मों की ताकत नापने का प्रमुख पैमाना है. जनसंख्या के अनुपात में धर्मों की राजनीतिक शक्ति बढ़ती या घटती है.
पीयू की रिपोर्ट में वर्ष 2010 को आधार मान कर वर्ष 2050 तक 8 प्रमुख धार्मिक समुदायों की जनसंख्या का आकलन और विश्लेषण किया गया है. विश्व तथा भारत के संदर्भ में इस के निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं. इन 40 सालों में विश्व की जनसंख्या में 35 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिस में प्रमुख समुदायों में मुसलमानों की जनसंख्या सर्वाधिक यानी 73 प्रतिशत, ईसाई समाज की 35 प्रतिशत तथा हिंदुओं की जनसंख्या 34 प्रतिशत बढ़ेगी, इस हिसाब से आबादी के मामले में ईसाई पहले, मुसलमान दूसरे तथा हिंदू तीसरे नंबर पर होंगे.
भारत के हिंदुओं के लिए बुरी खबर यह है कि साल 2050 में भारत की कुल आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी में 2.8 फीसदी तक कमी आने की संभावना है. वर्ष 2050 में देश की कुल आबादी 1.7 अरब होगी. इस में 76.7 फीसदी हिंदू होंगे, जबकि साल 2010 में यह आंकड़ा 79.5 फीसदी था. 2010 में देश में हिंदुओं की कुल आबादी 97.37 करोड़ थी, जबकि साल 2050 में संभावित तौर पर यह 129.79 करोड़ होगी, इस प्रकार इस दौरान कुल हिंदू आबादी में मात्र 32.42 करोड़ की वृद्धि होगी. एक भ्रम फैलाया जा रहा है कि 2050 तक हिंदू 50 फीसदी से कम होंगे.
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