4 दिन की मुंबई ट्रेनिंग का अपना और्डर देख कर नीतू परेशान हो उठी. उस का पति नमन पहले ही 6 माह के औफिशियल टूअर पर विदेश गया हुआ था. घर में वृद्ध सासससुर को छोड़ कर वह कैसे जा पाएगी, यह सोचसोच कर उस का सिर दर्द से फटने लगा. घर आ कर भी काम में मन नहीं लग रहा था, यद्यपि सासससुर उसे अकेले रह लेने का आश्वासन दे रहे थे. मगर वह स्वयं उन्हें 4 दिन अकेले छोड़ कर जाने के लिए स्वयं को तैयार नहीं कर पा रही थी. शाम को सोसाइटी के पार्क में उस के सामने वाले फ्लैट में रहने वाली उस की दोस्त नीना उसे कुछ परेशान देख कर बोली, ‘‘क्या बात है आज चेहरे पर 12 क्यों बज रहे हैं?’’
पहले तो नीतू टाल गई पर उस के बारबार पूछने पर उस ने उसे अपनी मुंबई ट्रेनिंग की बात बताई. यह सुन कर नीना हंसते हुए बोली, ‘‘अरे इस में चिंता करने या परेशान होने की क्या बात है? मैं सामने ही रहती हूं. आंटीअंकल को कोई परेशानी नहीं होने दूंगी. वैसे तो मैं खुद ही उन का ध्यान रखूंगी पर फिर भी तुम उन्हें मेरा फोन नंबर दे देना ताकि कभी भी कोई जरूरत पड़े तो वे मुझे बुला सकें.’’ नीना की बातें सुन कर नीतू कुछ आश्वस्त हुई. फिर खुश होते हुए बोली, ‘‘वाह नीना तुम ने तो मेरी प्रौब्लम चुटकियों में सौल्व कर दी. मैं तो सुबह और्डर मिलते ही परेशान हो गई थी. पिछली ट्रैनिंग में बीमारी के कारण नहीं जा पाई थी. इसलिए अब टाल भी नहीं सकती थी.’’