श...श...श... कोई सुन न ले. अब यह भूल जाइए कि आप की कोई बात गुप्त है. आप की हर बात कोई भी सुन सकता है और कभी भी कहीं भी. आप का लिखा पढ़ सकता है, आप का फोटो देख सकता है. अगर मौजमस्ती मेंकोई अंतरंग फोटो खींचा है, तो उस का दुरुपयोग कर सकता है. आप के खाने की रैसिपी पढ़ कर आप को बेसन के विज्ञापन भेज सकता है. आप के मसूरी के प्रोग्राम के बारे में सहेली को लिखे मैसेज को जान कर आप को मसूरी के ट्रैवल एजैंटों के नाम भेजना शुरू कर सकता है. आप के बचपन की तसवीरें ढूंढ़ सकता है. बीसियों के गु्रप में आप को पहचान सकता है. यह सब इसलिए हो सकता है, क्योंकि आप मोबाइल इस्तेमाल कर रही हैं और उसे अपना जीवन अमृत मानती हैं. इस में आप की आत्मा बसती है, इसी के सहारे आप जिंदा हैं.

मोबाइल कंपनियों के लिए मोबाइल और उस के मुफ्त ऐप असल में शेर का शिकार करने के लिए बांधे गए मेमने हैं, जिन के सहारे आप के पर्स पर कब्जा किया जा रहा है. कुछ शातिर लोग आप की निजी बातों को जान कर कब आप को ब्लैकमेल करने लगें, पता नहीं. हम डरा नहीं रहे. फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने अमेरिकी संसद की संयुक्त समिति में एक हियरिंग में यह माना और कहा कि वे अपने यूजर्स के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, क्योंकि यूजर्स ने उन की मुफ्त सेवाएं लेते समय सब जान लेने की सहमति दी थी. यह सहमति आप ने एक बौक्स पर ‘हां’ का निशान लगाते समय दी थी, जिस के बिना आप फेसबुक अकाउंट खोल ही नहीं सकतीं.

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