एक दिन अनायास एक व्यक्ति आता है और भीड़भरे चौराहे पर,  चिलचिलाती धूप में ट्रैफिक कंट्रोल करते पुलिसमैन को ठंडे पानी की बोतल पकड़ा कर खामोशी से आगे बढ़ जाता है.

ट्रैफिक पुलिस के इस बंदे का गला भरी दोपहरी में सूख रहा था. ऐसे में ठंडे पानी की यह बोतल उसे तृप्त कर गई. वह एक सांस में ही पूरा पानी पी गया और दूर जाते उस इंसान को देखता रहा जिस में दूसरों की खातिर जीने का जज्बा था. वह उसे नम्रतावश सलाम करने लगा.

एक और दिन एक चौराहे पर एक अजनबी ने एक बूढ़े व्यक्ति को हाथ पकड़ कर रास्ता पार करा दिया और आगे बढ़ गया.

ट्रैफिक पुलिस और बूढ़े व्यक्ति के चेहरे पर इत्मीनान था. इस से ज्यादा इत्मीनान और खुशी उन चेहरों पर दिखी जो मदद के लिए आगे आए थे.

लोग शांति और सुकून की तलाश में न जाने कहांकहां भटकते हैं. वे कई मंदिरों और तीर्थों के फेरे लगा आते हैं. लेकिन फिर भी उन्हें शांति और सुकून नहीं मिलता. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो लोगों को छोटीछोटी खुशियां बांट कर मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा कर असीम सुख और सुकून महसूस करते हैं, ऐसा सुकून जो पूजापाठ से हासिल नहीं होता.

छोटेछोटे कामों में बड़ीबड़ी खुशियां : 70 वर्षीया मन्नू देवी घरेलू महिला हैं. ये अपने पासपड़ोस में, रिश्तेदारों में देखती हैं कि कहीं कोई तकलीफ में है या जरूरतमंद है तो वहां पहुंच कर चुपके से उस की मदद अपनी सामर्थ्यानुसार कर आती हैं. घरों में काम करने वाली गरीब महिला के किसी बच्चे की स्कूल की फीस भर आती हैं तो कभी होनहार गरीब बच्चों के लिए छात्रवृत्ति दे आती हैं. और तो और, रास्ते चलते किसी गरीब बच्चे को देखती हैं तो झट उसे चौकलेट, खिलौने पकड़ा कर खामोशी से आगे बढ़ जाती हैं.

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