अमेरिका में अब मैडिकल कालेजों में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा हो गई है. अश्वेत, लैटिनो भी बढ़ने लगे हैं. अब तक अमेरिकी चिकित्सा क्षेत्र मेल डौमिनेटेड और व्हाइट डौमिनेटेड था. अब नए कालेज भी खुल रहे हैं और विविधता भी आ रही है जबकि मैडिकल शिक्षा महंगी है और स्टूडैंट लोन के बल पर पढ़ाई की जाती है.
भारत में चिकित्सा शिक्षा लड़खड़ा रही है. पहले जब तक सरकारी थी, पर्याप्त डाक्टर नहीं मिल रहे थे. अब प्राइवेट हो गई है तो पढ़ाने की मंडी की तरह हो गई है, जहां दाखिले से ले कर अंतिम परिणामों तक बोलियां लगती हैं.
दुनिया की नई मांग चिकित्सा सुविधाओं की है. सब से ज्यादा लाभदायक उद्योग चिकित्सा क्षेत्र ही है. समृद्ध देशों में मकानों और नौकरियों की कमी नहीं, अपने बढ़ते बुढ़ापे में देखभाल और दवाओं की कमी खल रही है. महिला डाक्टर ये रोल ज्यादा अच्छी तरह से अदा कर सकती हैं.
भारत का चिकित्सा क्षेत्र अमेरिका की ओर बहुत देखता है और ज्यादातर सफल डाक्टरों के पीछे उन के अमेरिकी अनुभव रहते हैं, जहां नई सोच और नई तकनीकों पर प्रयोग होते रहते हैं. वहां किसी भी तरह का सुखद बदलाव यहां असर डालता ही है और अमेरिकी मैडिकल कालेजों का बदलता रंग भारत की औरतों को भी प्रोत्साहित करेगा.
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