देश की आरतों को नीरव मोदी और गीतांजलि ज्वैलर्स को बचाने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए. देश की औरतों से मतलब है पैसे वाली, ठसके वाली, जेवरों से लदीफंदी हुईं. नीरव मोदी, गीतांजलि ज्वैलर्स, गिली इंडिया, नक्षत्र जैसी कंपनियों ने ही उन्हें एक विशेष आभा दी है. पार्टियों में नीरव मोदी के हार पर हाथ फिराते हुए कहना कि ‘मैं तो सिर्फ नीरव मोदी ही’ पहनती हूं, वैसा ही हो गया था जैसे भगवाधारी कहें कि अब तक के सर्वोत्तम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं. उस नीरव मोदी या मेहुल चोकसी को भगोड़ा बताने का अर्थ है इन औरतों के लौकरों में रखे लाखों के जेवरों का पकौड़ा बना डालना.

यह किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं है. सोने के लिए हर युग में, हर राजा और हर रंक ने हमेशा हर तरह के काम किए हैं. पिरामिडों के युग में राजेरानियां अपने साथ मरने के बाद भी सोना ले जाते रहे हैं, जो इन पिरामिडों में आज 5000 साल की लूट के बाद भी थोड़ाबहुत मिल जाता है और कुछ स्मगलरों के पास जाता है, कुछ संग्रहालयों में.

हिंदी फिल्मों का एक युग तो केवल सोने की स्मगलिंग पर ही टिका था. हर दूसरी फिल्म में एक तस्कर होता था, जो देशविदेश से सोना ले कर आता था या सोने को चुरा कर भागने वाला चोर होता था. रामजी ने रावण को भी तो इसी सोने के मोह के कारण मारा था. सीता ने राम से स्वर्णमृग लाने के लिए जिस तरह की जिद की थी आज की औरतों को भी उसी तरह की जिद नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे स्वर्णमृगों को बाइज्जत देश लाने के लिए करनी चाहिए. सोना किसी तरह से गलत नहीं होता है. स्वर्ण भस्म का नाम ले कर लोगों को न जाने क्याक्या आयुर्वेदिक दवाओं में खिला दिया जाता है. उस सोने की उपलब्धि कराने के लिए क्या देश एक खट्टी डकार भी नहीं ले सकता?

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