हमारा देश प्राचीन काल से गरीब है. गुलामी बाद में आई, गरीबी तो सनातन है. भारत एक ही सनातन धर्म को जानता है, वह है गरीबी. हम लोग जो कहानियां सुनते आ रहे हैं कि भारत सोने की चिडि़या था, उन कहानियों में विश्वास मत करो क्योंकि जिन के लिए भारत एक सोने की चिडि़या था, उन के लिए आज भी सोने की चिडि़या है. वे थोड़े से लोग हैं लेकिन अधिकतर लोगों के लिए कहां सोना, कैसी सोने की चिडि़या? ज्यादातर लोग गरीब और सदा से भूखे रहे. इसलिए कुछ लोग सोने के महल खड़े कर सके.
वास्तव में गरीबों का नाजायज फायदा उठा कर कुछ लोग अमीर बन गए. हम हमेशा से ही भयानक हीनता की भावना से पीडि़त रहे हैं, इसलिए गरीब हैं. हम क्या कर सकते हैं?
हम अवश हैं, विवश हैं. हम किसी न किसी के पीछे भेड़ की तरह चलेंगे, पंडितपुरोहितों का अंधानुकरण करेंगे क्योंकि हीन व्यक्ति कर ही क्या सकता है. उस की सामर्थ्य कितनी? वह हमेशा किसी का पल्लू पकड़ कर ही चलेगा. वह तो भेड़ है, आदमी नहीं. ऐसा आदमी कभी उन्नति नहीं करेगा, हमेशा गरीब ही रहेगा.
हर मानव के जीवन में जन्म और मृत्यु निश्चित है, बाकी कुछ भी निश्चित नहीं है. मानव के जन्म के बाद उसे जीने का अधिकार है चाहे वह गरीब के घर या अमीर के घर में पैदा हो. अगर परिवार के पास रहने के लिए अपना मकान, पेट भर खाना और पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं तो हम उसे गरीब परिवार कहेंगे और उस परिवार के सदस्यों को हम गरीब कहेंगे.